पीएम मोदी ने असम दौरे के दौरान न्याय प्रणाली में तेजी लाने की बात कही

नई दिल्ली । पीएम मोदी ने अपने असम दौरे के दौरान कहा कि दूरदराज के इलाकों, विशेषकर पूर्वोत्तर, में न्याय प्रदान करने की प्रणाली को गति देने के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की जरूरत है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली, न्याय प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। टेक्नोलॉजी पूर्वोत्तर जैसे दूरदराज के इलाकों में न्याय प्रदान करने में मदद कर सकती है। सरकार हर संभावित क्षेत्र में टेक्नोलॉजी की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने इस कड़ी में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी), आधार और डिजिटल इंडिया मिशन का उल्लेख करते हुए कहा कि ये गरीबों को उनके अधिकार दिलाने का बहुत बड़ा माध्यम बने हुए हैं।
संपत्ति के स्वामित्व में स्पष्टता की कमी के चलते होने वाले विवादों के कारण न्यायपालिका पर पड़े बोझ का संकेत देते हुए, उन्होंने एक उदाहरण दिया कि कैसे ड्रोन का उपयोग पीएम स्वामित्व योजना के तहत एक लाख से अधिक गांवों में संपत्तियों की मैपिंग करके समाधान लाने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि आज देश के एक लाख से ज्यादा गांवों में ड्रोन के जरिये, मैपिंग का काम पूरा किया जा चुका है और लाखों लोगों को संपत्ति कार्ड भी दिए जा चुके हैं। इस अभियान से भी जमीन से जुड़े विवादों में कमी आएगी, जनता की परेशानी कम होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि न्याय प्रदान करने की प्रणाली को अत्याधुनिक बनाने में टेक्नोलॉजी के लिए असीमित संभावनाएं हैं। इस दिशा में उच्चतम न्यायालय की ई-कमेटी द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि इसे आगे बढ़ाने के लिए इस साल के बजट में ई-अदालत मिशन के तृतीय चरण का एलान किया गया है। न्यायिक प्रक्रिया में कृत्रिम मेधा (एआई) के बढ़ते वैश्विक इस्तेमाल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें एआई के माध्यम से आम नागरिक के लिए न्याय की सुगमता में सुधार के प्रयासों को भी बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) प्रणाली महत्वपूर्ण हैं। पूर्वोत्तर में इस संबंध में समृद्ध परंपराएं हैं।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.