कराची । पाकिस्तान का आर्थिक संकट टलने का नाम नहीं ले रहा है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की तरफ से दिए गए बयान ने पाकिस्तान की चिंताओं को दोगुना कर दिया है। भयंकर आर्थिक संकट में घिरे पाकिस्तान पर जो कर्ज है, उसकी वजह से हालात और बिगड़ने वाले हैं। यूएन से जुड़ी ट्रेड एंड डेवलपमेंट कॉन्फ्रेंस की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के बाहरी कर्ज में लगातार इजाफा होता जा रहा है। इसकी वजह से निर्यात से होने वाली आय में कमी आएगी और साथ ही आर्थिक संकट और गहराएगा। पाकिस्तान पर इस समय चार खरब पाकिस्तानी रुपए का कर्ज है। जनवरी 2023 में कर्ज में करीब 7.7 फीसदी का इजाफा हुआ था।
यूएन ने कहा है कि पाकिस्तान इस समय बहुसंकट की तरफ बढ़ रहा है। साल 2015 से 2020 के बीच देश का बाहरी कर्ज करीब दोगुना हो चुका है। इस कर्ज की वजह से साल 2022 में आर्थिक संकट इतना गहराया है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की नौ मार्च को आई रिपोर्ट में कहा गया था कि जनवरी 2022 में देश पर 42.49 खरब रुपए का कर्ज था और इसमें 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। पाकिस्तान इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। पाकिस्तान अब डिफॉल्ट होने की कगार पर पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर गिर गया है। इसकी वजह से आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस वजह से भी अर्थव्यवस्था पर गलत असर पड़ रहा है।
यूएन की रिपोर्ट में पाकिस्तान को इस समय सबसे ज्यादा गेहूं और ऊर्जा का आयात करना पड़ रहा है, लेकिन यूक्रेन युद्ध की वजह से इन बाजारों में बढ़ती कीमतों के कारण पाकिस्तान पर अब जोखिम बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध की वजह से आयात काफी महंगा हो गया है और साल 2022 में यही स्थिति बनी रही है। इसके अलावा पाकिस्तानी रुपए के मूल्य में तेजी से गिरावट आई है। साल 2020 की शुरुआत से ही पाकिस्तान रुपया डॉलर के मुकाबले 40 प्रतिशत से ज्यादा स्तर तक गिर गया है। इस वजह से देश में महंगाई बढ़ी है और विनिमय भंडार तेजी से घटा है।
यूएन के अनुसार पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पहले से ही बिगड़ रही थी। उस पर पिछले साल आए मॉनसून ने इसे बद से बदतर कर दिया। बारिश सामान्य से 50 फीसदी ज्यादा हुई और इसकी वजह से देश के कई हिस्सों को विनाशकारी बाढ़ का सामना करना पड़ा। विश्व बैंक के मुताबिक बाढ़ से 50 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान देश को झेलना पड़ा है। बाढ़ से हुई तबाही के बाद द्विपक्षीय और बहुपक्षीय लेनदारों ने भागीदारों ने 16.3 अरब डॉलर से करीब नौ अरब डॉलर का फंड देने का मन बनाया। इस फंड का प्रयोग पुनर्निर्माण जरूरतों को पूरा करने के लिए होना था। यूएन का कहना है कि ये फंड पाकिस्तान के कर्ज बोझ को बढ़ाएगा।
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