नई दिल्ली । रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के एक साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक दोनों ही देशों के बीच शांति की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की कई बार सीधे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। उधर, पुतिन ने जेलेंस्की के प्रस्ताव को कोई भाव नहीं दिया है। अब यूक्रेन ने रूस के दोस्त देश भारत में फिर से बड़ा दांव चला है। भारत के दौरे पर आईं यूक्रेनी उप विदेश मंत्री इमिने दझपरोवा चाहती हैं कि मोदी सरकार राष्ट्रपति जेलेंस्की को भी जी-20 शिखर सम्मेलन में बुलाए। आगामी 8-9 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी आ सकते हैं। यूक्रेन के इस ताजा दांव से भारत की मुश्किल बढ़ गई है।
यूक्रेनी मंत्री चाहती हैं, कि भारत ठीक उसी तरह से जेलेंस्की को न्यौंता दे जिस तरह से इंडोनेशिया ने बाली में आयोजित पिछले जी-20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेनी राष्ट्रपति को बुलाया था। लेकिन भारत ने अभी यूक्रेन की मांग पर कोई आश्वासन नहीं दिया है। उधर, भारत नहीं चाहता है कि जी-20 शिखर सम्मेलन और उसकी अध्यक्षता पर यूक्रेन युद्ध का असर पड़े। यूक्रेनी मंत्री ने भारत को अपने प्रस्ताव पर साथ लाने के लिए पीएम मोदी के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का दौर नहीं है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि भारत भी यूक्रेन के शांति प्रस्ताव के प्रयासों में साथ आए। इमिने ने कहा कि भारत एक वैश्विक खिलाड़ी है और वास्तविक विश्व गुरु है।
भारत जहां जी-20 शिखर सम्मेलन को सफलतापूर्वक करना चाहता है, वहीं यूक्रेन और पश्चिमी देश इस मौके को रूसी राष्ट्रपति को घेरने के मौके के रूप में देख रहे हैं। यूक्रेन चाहता है कि भारत इस युद्ध को रोकने के प्रयास में शामिल हो। यूक्रेनी उप विदेश मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी के यूक्रेन आने का न्यौता पहले ही दिया जा चुका है। इसके पहले भारत में ही पिछले दिनों हुई जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी यूक्रेन समर्थक पश्चिमी देश और रूस-चीन खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ आ गए थे।
इसकारण विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद कोई भी संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका था। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने आरोप लगाया कि रूस के गैर न्यायोजित और बिना उकसावे के युद्ध से बैठक बर्बाद हो गई। वहीं रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने आरोप लगाया कि पश्चिमी देश ब्लैकमेल कर धमका रहे थे। वहीं भारत चाहता था कि इस बैठक में विकासशील देशों के मुद्दों पर फोकस किया जाए लेकिन विदेश मंत्री जयशंकर के काफी प्रयास के बाद भी यूक्रेन को लेकर मतभेदों के कारण ऐसा नहीं हो सका।
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