अशोक गहलोत-सचिन पायलट मुद्दे पर आज कांग्रेस आलाकमान की बैठक

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट को लेकर बनी स्थिति को सुलझाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को बैठक बुलाई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट को भी इस बैठक में अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया जा सकता है। इस संबंध में राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की और उन्हें मौजूदा हालात से अवगत कराया।

उन्होंने कहा कि सचिन पायलट ने जो भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है, मैं उससे सहमत हूं, लेकिन उनका तरीका गलत है। उन्हें इसे विधानसभा सत्र के दौरान उठाना चाहिए था। सचिन पायलट के साथ आज आधे घंटे की चर्चा हुई और हम कल भी बात करेंगे। मैं विश्लेषण करूंगा। सभी चीजें और एक रिपोर्ट तैयार करें कि गलती किसकी है। उन्होंने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की, मुझे नहीं लगा कि यह पार्टी के पक्ष में है। मैं एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करूंगा।

रन-अप पार्टी के अध्यक्ष चुनाव में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति के बावजूद कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं करने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादारों के खिलाफ निष्क्रियता के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर, श्री रंधावा ने कहा कि वह उस समय राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी नहीं थे।

रंधावा ने कहा कि कार्रवाई अतीत में की जानी चाहिए थी लेकिन नहीं की गई लेकिन इस बार कार्रवाई की जाएगी। कांग्रेस अध्यक्ष श्री खड़गे ने सुखजिंदर रंधावा से रिपोर्ट लेने के बाद इस मामले को लेकर राहुल गांधी से मुलाकात की। रंधावा से रिपोर्ट लेने के बाद खरगे ने आज राहुल से भी चर्चा की है। अब राहुल इस पर सोनिया से चर्चा करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष गांधी परिवार की राय लेंगे। अंतिम फैसला खरगे का होगा।

राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस पायलट के उपवास के मद्देनजर एक नए संकट से जूझ रही है, जिसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ “भ्रष्टाचार के मामलों पर बैठने” के आरोप के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस ने भाजपा सरकार के शासन के दौरान भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की मांग को लेकर पार्टी नेता सचिन पायलट के दिन भर के उपवास को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह पार्टी हितों और पार्टी विरोधी गतिविधि के खिलाफ है।

रंधावा ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा था कि राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट ने इस मुद्दे पर उनसे कभी बात नहीं की। रंधावा ने कहा कि सचिन पायलट का दिन भर का उपवास पार्टी हितों के खिलाफ है और पार्टी विरोधी गतिविधि है। अगर उनकी अपनी सरकार के साथ कोई समस्या है, तो मीडिया और जनता के बजाय पार्टी मंचों पर चर्चा की जा सकती है।

ताजा संकट इस साल के आखिर में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सामने आया है। पायलट को मुख्यमंत्री पद के आकांक्षी के रूप में देखा जाता है, लेकिन अशोक गहलोत, जिन्होंने कांग्रेस का राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ा था, जाहिर तौर पर उन्हें राज्य की बागडोर नहीं सौंपने के इच्छुक हैं। गहलोत के खिलाफ “विद्रोह” का नेतृत्व करने वाले पायलट के साथ 2020 में दोनों के बीच मतभेद तेजी से सामने आए थे। दोनों नेता पहले भी कई मौकों पर एक-दूसरे पर निशाना साध चुके हैं।

 

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.