जापान में हिकिकोमोरी से पीड़ित 15 लाख लोग घरों में कैद 

टोक्यो । जीवन की परेशानियों से तंग आकर बहुत से लोग अकेला ही रहना पंसद करते हैं। मामला तब ज्यादा बिगड़ जाता है, जब इसतरह के लोगों की तादा इतनी बढ़ जाए की सरकार भी टेंशन में आ जाए है। एक देश में इनदिनों यही हो रहा है। यहां 15 लाख लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं। ये रिलेशनशिप और कोविड में नौकरी जाने जैसे मुद्दों से परेशान हैं। इसमें 15 साल से लेकर 64 साल तक के लोग शामिल हैं।
मामला जापान का है। इसतरह के लोगों की संख्या जापान की आबादी का 2 फीसदी है। इसमें से पांच तिहाई ने इसके लिए वजह कोरोना को मनाते है। जापान में लोगों के एकांत में रहने और समाज से खुद को काटने की प्रक्रिया को हिकिकोमोरी कहा जाता है।
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, उस शख्स को हिकिकोमोरी से पीड़ित माना जाता है, जब वह कम से कम छह महीने तक समाज से दूरी बनाए रखने जैसा व्यवहार करता है। हिकिकोमोरी से पीड़ित व्यक्ति घर से बाहर निकलने से मना कर देता है, चाहे फिर स्कूल जाने की बात हो, दफ्तर जाने की हो या फिर घर का सामान बाहर स्टोर से खरीदने की बात हो। ये लोग घर से बाहर कदम रखने से ही इनकार कर देते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार हिकिकोमोरी के पीछे की वजहें पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं। कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान जीवन में किसी तनावपूर्ण घटना से तंग आकर खुद को समाज से काट लेता है। कुछ शोध में ये बात भी सामने आई है, कि हिकिकोमोरी का संबंध परिवार में दिक्कतें या दर्द का अनुभव भी होता है। जापान में बीते कुछ वर्षों में लोगों द्वारा समाज से खुद को एकदम अलग किए जाने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस चिंता, डिप्रेशन या समाज में भय की स्थिति से भी जोड़ा जाता है।

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