भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नई मौद्रिक नीति की घोषणा करने के साथ ही इसने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को बढ़ा दिया है। संशोधित वृद्धि दर को अब 6.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जो पहले 6.4 प्रतिशत था। यह घोषणा वित्त वर्ष 2023-24 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति का अनावरण करते हुए किया गया है।
बढ़ोतरी का है अनुमान
RBI के अनुमानों के मुताबिक, 2023-24 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। वहीं, बाद के तिमाही की बात करें तो आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक, दूसरी तिमाही में विकास दर 6.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.2 फीसदी और चौथी तिमाही में विकास दर 5.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।
एशियाई विकास बैंक को भी उम्मीद है कि मौद्रिक स्थितियों और उच्च तेल की कीमतों के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि मध्यम से 6.4 प्रतिशत हो जाएगी। ये वित्तीय वर्ष 2023 में 6.8 प्रतिशत था।
GDP में गिरावट का अनुमान
विकास दर के बढ़ने के अनुमान के बीच सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुमान के मुकाबले घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। विश्व बैंक ने अपने नवीनतम ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ ने यह अनुमान लगाया है। इससे पहले यह 2023-24 में यं अनुमान 6.6 प्रतिशत था।
बता दें कि RBI MPC ने नई मौद्रिक नीति दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। बैठक आज समाप्त होने के बाद रेपो दरों को 6.50 फीसद के स्तर पर बरकरार रखने की घोषणा की गई है। वहीं, बैठक से पहले रेपो दर, रिवर्स रेपो दर और अन्य संबंधित निर्णयों में बढ़ोतरी का अनुमान था। अर्थशास्त्रियों का मानना था कि रेपो रेट में एक चौथाई अंक या 25 बेसिस पॉइंट्स की वृद्धि हो सकती है, लेकिन RBI ने इसे न बढ़ाने का फैसला लिया है।
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