श्योपुर | ईलू नाम का जर्मन शेफर्ड डॉग कूनो सेंचुरी एरिया में होने वाले जंगली जीवों के शिकार पर रोक लगाने और उनको पकड़ने में सहायता करेगा। सात महीने की ट्रेनिंग के बाद ईलू डॉग को वन अमले को सौंपा गया है। ईलू के साथ दो वन विभाग कर्मियों को भी ट्रेनिंग दी गई है। ट्रेनिंग करने वाले वन विभाग के कर्मचारियों में नईम राशिद खान शामिल हैं।
डीएफओ प्रकाश वर्मा ने बताया, कूनो वन एरिया में शिकार होते हैं। इससे चीतों को भी खतरा रहता है। अगर कोई घटना हो तो उसे मौके पर ले जाकर तुरंत वहां किसी को पहुंचने नहीं देते हैं। शिकारी की दुर्गंध के आधार पर यह डॉग उसे ढूंढने में मदद करता है। इसको विशेष रूप से स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है, ये डॉग काफी मददगार साबित हुए हैं।
डीएफओ के मुताबित, अभी तक कई केस सामने आए, जहां पर यह डॉग थे, वहां पर अपराध नियंत्रण हुए हैं। चूंकि यहां पर चीता प्रोजेक्ट है तो सहायता के लिए एक डॉग की जरूरत थी। इस पर बीच में शासन ने सागर से और जबलपुर से डॉग स्क्वायड भेजा था, जो सेवाएं दे रहे थे। क्योंकि अब कूनो के लिए ईलू डॉग और हमारे कर्मचारी स्पेशल ट्रेंड होकर कूनो की सुरक्षा के लिए आ चुके हैं। अब हम और ज्यादा प्रभावी तरीके से अपराधों पर नियंत्रण कर सकेंगे।
बता दें कि ईलू डॉग के लिए ट्रैफिक इंडिया नाम का एक संस्थान है। यह गवर्नमेंट एजेंसी का ही पार्ट है, जो देश भर में जगह-जगह ऐसे डॉग को देते हैं। उन्होंने ही ईलू नाम के डॉग को दिया है। पंचकूला में इसकी ट्रेनिंग हुई है, यह ट्रेनिंग करीब सात महीने की हुई है और स्टॉफ की भी ट्रेनिंग डॉग के साथ-साथ हुई है। इस डॉग का नाम ईलू है, ईलू डॉग की उम्र 11 महीने बताई गई है, जो अभी कूनो नेशनल पार्क में आ चुका है।
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