भोपाल । गर्मी का मौसत शुरू होते ही पेड़ से पत्तियां गिरने लगती हैं और जंगल वीरान लगने लगता है। कुछ इसी तरह का नजारा इन दिनों प्रदेश के सबसे बड़े नौरादेही अभयारण्य का है, जहां पेड़ों से पत्ते झड़ गए हैं और सूखे पेड़ ही खड़े हैं। इस कारण से पेड़ों पर उछल, कूद करने वाले बंदरों व अन्य शाकाहारी जानवरों को भोजन की तलाश में यहां-वहां भटकना पड़ रहा है। वहीं, जो राहगीर मार्गों से निकलते हैं वह इन जानवरों के लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं, लेकिन नौरादेही अभयारण्य के अधिकारियों ने उस पर भी जुर्माना लगा दिया है। साथ ही मुख्य मार्गों पर वन कर्मियों की ड्यूटी भी लगाई गई है कि यदि कोई वाहन चालक जानवरों के लिए भोजन की व्यवस्था करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाए।
नौरादेही अभ्यारण में अनेक तरह के शाकाहारी जानवर हैं। इन जानवरों में हिरण, बंदर, नीलगाय, चिंकारा के साथ अन्य प्रजाति के जानवर जो ठंड और बारिश के दिनों में हरे- भरे पेड़ों पर रहकर अपने भोजन की पूर्ति करते थे। वह गर्मी शुरू होते ही इधर- उधर भागने लगे हैं और जो मुख्य मार्ग के किनारे खड़े होकर राहगीरों का इतंजार करते हैं कि कोई उनको कुछ खाने के लिए डाल दे। पूर्व में सागर मार्ग से गुजरने वाले यात्री जानवरों के लिए अनेक तरह के पकवान ले जाते थे। जिनमें कोई चने रखता था तो कोई फल फेंकता था। जिसको खाकर यहां रहने वाले शाकाहारी जानवर अपना पेट भरते थे, लेकिन अब इस तरह के भोजन पर अभ्यारण के अधिकारियों ने प्रतिबंध लगा दिया है और इसकी निगरानी के लिए वन विभाग ने अपने कर्मचारियों को मुख्य मार्ग पर नियुक्त किया है। वह वाहन चालकों को मुख्य मार्ग पर भोजन फेंकने पर अंकुश लगाने की जानकारी देते हैं।
हादसे न हो इसलिये लगाया गया अंकुश
झलौन- सागर मार्ग पर अभ्यारण्य शुरू होने से सीमा खत्म होने तक जगह-जगह पर नौरादेही अभ्यारण्य द्वारा कर्मचारी नियुक्त किए हैं, जो मुख्य मार्ग से गुजरने वाले वाहन चालकों को मुख्य मार्ग पर आहार, फल फेंकने पर प्रतिबंध लगाने का काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि वाहन चालक सड़कों पर फल, फूल खिलाते हैं तो उसका सेवन करने के लिए जंगली जानवर सड़क पर आते हैं और उनके साथ अनेक तरह के हादसे हो जाते हैं। जिसमें जानवर या तो घायल हो जाते हैं या उनकी मौत हो जाती है। इसलिए अभ्यारण द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है कि वाहनों से किसी तरह का कोई आहार जानवरों के लिए नहीं फेंका जाएगा, जिससे जानवर भी सुरक्षित रह सकें।
सूखे पेड़ भोजन को भटक रहे जानवर
जंगल और अभ्यारण्य इन दोनों जगह लगे पेड़ों ने अपने पत्ते छोड़ दिए हैं और अब यह हरे-भरे जंगल पतझड़ में तब्दील हो गए। इस पतझड़ से शाकाहारी जंगली जानवरों की हालत खराब हो रही है। क्योंकि उनको भोजन खोजने से भी नहीं मिल रहा है और वह भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं। नौरादेही अभ्यारण्य में दूर तक ऐसा कोई पेड़ नहीं दिख रहा है, जो फलों से भरा हो और जिनका सेवन करके यह जानवर अपनी भूख मिटा सकें। साथ ही ऐसा कोई तालाब या नदी नहीं है जिसके पानी से अपनी प्यास बुझा जा सकें ऐसी स्थिति में जानवर अपना जीवन कैसे बिताएंगे।
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