नई दिल्ली । भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद के बावजूद, चीनी लोगों के दिल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक अलग सम्मान है। एक लेख के अनुसार, चीनी लोगों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आदरपूर्वक मोदी लाओक्सियन कहा जाता है, जिसका अर्थ है मोदी अमर हैं। मौजूदा समय में जब, दोनों देशों के संबंध मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, उस समय में इस तरह लोगों के बीच इतना सम्मान मिलना वाकई बड़ी बात है। लेख में कहा गया है चीन में भारत को कैसे देखा जाता है? चीनी सोशल मीडिया, विशेषकर सीना वीबो (चीन में ट्विटर के समान) के विश्लेषण के लिए मशहूर, पत्रकार मु चुनशान ने भी पीएम मोदी को लेकर बड़ी बात कही है। चुनशान के मुताबिक, अधिकांश चीनी महसूस करते हैं, कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने विश्व के प्रमुख देशों के बीच संतुलन बनाए रखा, सिना वीबो के 582 मिलियन से अधिक सक्रिय यूजर्स हैं।
चुनशान कहते हैं, प्रधानमंत्री मोदी का चीनी इंटरनेट पर एक अलग उपनाम है: मोदी लाओक्सियन, लाओक्सियन का संदर्भ कुछ विशेष क्षमताओं वाले एक बुजुर्ग अमर व्यक्ति से होता है। उपनाम का अर्थ है कि चीन में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोग सोचते हैं कि मोदी कुछ अलग हैं और अन्य नेताओं की तुलना में आश्चर्यजनक भी। चुनशान उनकी (पीएम मोदी की) पोशाक और शारीरिक बनावट दोनों की ओर इशारा करते हैं, जिसे लाओक्सियन की तरह देखा जाता है और उनकी कुछ नीतियां भारत की पिछली नीतियों से अलग हैं।
अन्य प्रमुख देशों के साथ भारत के संबंधों पर, उन्होंने कहा, चाहे वह रूस हो, अमेरिका, या वैश्विक दक्षिण देश, भारत के उन सभी के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों हैं, जो कुछ चीनी नागरिकों के लिए बहुत सराहनीय हैं। चुनशान ने लिखा, तो लाओक्सियन शब्द मोदी के प्रति चीनी लोगों की भावना को दर्शाता है, जिसमें जिज्ञासा, विस्मय का एक संयोजन है। मैं लगभग 20 वर्षों से अंतरराष्ट्रीय मीडिया कवर कर रहा हूं और चीनी लोगों के लिए विदेशी नेता को उपनाम देना दुर्लभ है। मोदी का उपनाम अन्य सभी से ऊपर है। जो साफ दर्शाता है कि उन्होंने चीनी जनमत पर एक छाप छोड़ी है।
पीएम मोदी चीन में भी मशहूर हैं, क्योंकि उनका सिना वीबो (ट्विटर जैसा) पर अकाउंट हैं और इसके जरिए वह चीनी जनता के बीच बात रखते हैं। 2015 में इस अकाउंट को बनाया गया था और उनके 2.44 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं। हालांकि, भाजपा महासचिव (संगठन) बी. एल. संतोष के अनुसार, भारत सरकार द्वारा 59 चीनी एप पर प्रतिबंध लगाने के बाद जुलाई 2020 में उन्होंने वीबो छोड़ दिया था। वहीं दूसरी तरफ चीनी लोगों का मानना है कि चीन के अपने सदाबहार सहयोगी, पाकिस्तान को अवास्तविक के रूप में यूज करने का प्रयास करता है, क्योंकि दो दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच की खाई चौड़ी हो रही है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.