सेना में जाने वाली पहली महिला मुक्केबाज जैस्मिन 83 सेकंड में जीतीं

सेना में जाने वाली देश की पहली महिला मुक्केबाज हरियाणा की जैस्मिन ने विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में धमाकेदार आगाज किया है। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली इस मुक्केबाज ने 60 भार वर्ग में महज 83 सेकंड के अंदर तंजानिया की मुक्केबाज न्यामबेगा एंबोस को पछाड़ दिया। जैस्मिन ने बाउट की शुरुआत से ही इतने मुक्के बरसाए कि रेफरी को पहले दौर में ही मुकाबला रोकना पड़ा। वहीं हरियाणा की ही शशि चोपड़ा ने 63 भार वर्ग में जीत से शुरुआत की है। उन्होंने कीनिया की मवांगी वांजिरू को 5-0 से पराजित किया, लेकिन चैंपियनशिप में देश को पहली हार का सामना करना पड़ा जब 70 भार वर्ग में चीन की झोउ पेन ने श्रुति यादव को 0-5 से परास्त किया।

रेफरी ने दो बार रोकी बाउट

जैस्मिन ने हाल ही में सेना में ज्वाइनिंग की और उन्होंने आर्मी स्पोट्र्स इंस्टीट्यूट पुणे में ट्रेनिंग भी शुरू कर दी है। जैस्मिन के माथे से अभी पसीना भी नहीं निकला था कि रेफरी को मुकाबला रोकना पड़ा। मुकाबला शुरू होते ही जैस्मिन के मुक्कों के आगे दो बार मुकाबला रोककर गिनती गिननी पड़ी। तीसरे मौके पर रेफरी ने बाउट ही रोक दी।

दादा की प्रेरणा से सेना को अपनाया

जैस्मिन के पास अन्य संस्थानों में नौकरी करने के मौके थे, लेकिन उन्होंने सेना को चुना। जैस्मिन बताती हैं कि उनके दादा जी सेना में थे। उन्होंने दादा जी के जरिए बचपन से देखा कि सेना का अनुशासन क्या होता है। यही नहीं दादा जी के जरिए वह सेना की वीरगाथाओं को सुनती थीं। यही कारण है जब उनके सामने सेना में जाने का प्रस्ताव आया तो उन्होंने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। जैस्मिन को बीते वर्ष अक्तूबर माह में कंधे की चोट लग गई, जिसके चलते वह राष्ट्रीय चैंपियनशिप नहीं खेलीं और उसके बाद उन्हें टायफायड हो गया। वह वापसी कर रही थीं तो उन्हें विश्व चैंपियनशिप से पहले विवादों में घिरना पड़ा। उनके वजन में पूनम पूनिया ने चयन को चुनौती देते हुए अदालत की शरण ली थी।

शशि रास आया नया भार वर्ग

नए भार वर्ग 63 किलो में खेल रहीं शशि चोपड़ा को कीनिया की वांजिरू कोई टक्कर नहीं दे सकीं। तीनों ही राउंड में जजों ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। शशि का फुटवर्क शानदार और मुक्के दमदार रहे। शशि ने अपनी फिटनेस पर ध्यान दिया। शशि ने कहा कि जब वह 60 भार वर्ग में थीं तो वह थोड़ी धीमीं थी, लेकिन ज्यादा वजन में आकर उनकी तेजी कम होने के बजाय और ज्यादा बढ़ गई है। सनामाचा चानू के चोटिल होने के चलते अंतिम क्षणों में टीम में शामिल की गईं। श्रुति यादव चीन की झोउ पेन को चुनौती नहीं दे पाईं।

 

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