काबुल । अफगानिस्तान में आतंक मचा रहे आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस (आईएसकेपी) को भारत में आतंक मचाने वाला संगठन लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान के अलावा खाड़ी देश वित्तीय सहायता पहुंचा रहे हैं। कभी खुद आतंकवादियों की भर्ती करने और आतंकवादी संगठन के साथ मिलकर लड़ने वाले पूर्व आतंकवादी अब्दुल रहीम ने मुस्लिम दोस्त के सामने यह खुलासा किया है।
तालिबान समर्थक लोगों से बातचीत कर अब्दुल रहीम ने कहा कि साल 2015 में जब इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रोविंस खड़ा हो रहा था, तब उस पहली सहायता आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने 50 लाख पाकिस्तानी नोटों के रूप में दी थी। पूर्व आतंकवादी का कहना है कि यह आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट सीरिया और इराक से भी वित्तीय मदद ले रहा है। इसके अलावा आईएसकेपी अपने वित्तीय तंत्र को मजबूत करने के लिए अपहरण और जबरन वसूली के जरिए भी फंड एकत्र करता है। ध्यान रहे कि पाकिस्तान एक तरफ अफगानिस्तान को सहायता करने की बात करता है और उसने बाकायदा अपना दूतावास भी अफगानिस्तान के अंदर खुला रखा है, लेकिन दूसरी तरफ से अफगानिस्तान में खुलेआम आतंक मचाने वाले आतंकवादी गुट को सीधे तौर पर सहायता पहुंचा रहा है। यह बात जगजाहिर है कि लश्कर-ए-तैयबा को भारत सहित अन्य देशों में आतंक मचाने के लिए जो धन मिलता है उसके पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का ही हाथ होता है।
अब्दुल रहीम को किसी समय में अमेरिकी फौजों ने आतंकवादियों के साथ संबंधों के शक में हिरासत में लेकर कुख्यात टॉर्चर सेंटर क्यूबा के ग्वांतानामो बे शिविरों में असाधारण हिरासत में भी रखा गया था। जहां से रहीम को कुछ साल बाद रिहा कर दिया गया था। साल 2006 में रहीम को पाकिस्तान में मस्जिद से बाहर निकलते हुए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अपनी हिरासत में लिया था और इसके बाद पाकिस्तान तालिबान और पाकिस्तानी सरकार के बीच एक कैदी की अदला-बदली के तौर पर रहीम को रिहा किया गया था।
खुद को कभी पत्रकार, कभी सुनार बताने वाले इस पूर्व आतंकवादी ने साल 2014 में, उग्रवादी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवांट्स अफगानिस्तान शाखा ज्वाइन कर ली जहां उसने आईएसआईएल नेता अबू बक्र अल-बगदादी को समर्थन देकर उसके प्रति वफादार रहने की प्रतिज्ञा ली।
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