राष्ट्रचंडिका,छिंदवाड़ा: प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश लगातार बढ़ती जा रही है. बीजेपी अपनी सत्ता को बचाए रखने की कवायद में जुटी है तो कांग्रेस कमलनाथ की अगुवाई में वापसी के लिए बेताब है. बीजेपी ने कमलनाथ को उनके ही ‘घर’ छिंदवाड़ा में घेरने के लिए सियासी तानाबाना बुनना शुरू कर दिया है.
इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 25 मार्च को कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा से ही बीजेपी के चुनावी अभियान का आगाज करेंगे. बीजेपी छिंदवाड़ा में अपने दिग्गज नेताओं को उतारकर कमलनाथ को उलझाना चाहती है या फिर कमल खिलाने की तैयारी है?
बीजेपी की नजर आदिवासी वोटों पर-मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का पूरा फोकस आदिवासी वोट बैंक पर है. बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं का लगातार आदिवासी इलाकों में दौरा इस बात का संकेत दे रहा है. इसके केंद्र में कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ का गढ़ कहे जाने वाला छिंदवाड़ा, जहां बीजेपी सेंधमारी के लिए खास प्लान बनाया है. बीजेपी के शीर्ष नेता छिदवाड़ा का दौरा कर रहे हैं.
अमित शाह का छिंदवाड़ा दौरा-मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के छिंदवाड़ा में प्रवास करने के बाद अब देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का छिंदवाड़ा दौरान होने जा रहा है. मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने ‘आजतक’ से बताया कि ’25 मार्च को छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में गृहमंत्री अमित शाह पहुंच रहे हैं. इस दौरान छिंदवाड़ा के सभी कार्यकर्ताओं के साथ एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे और बूथ कार्यकर्ताओं को चुनाव जीतने का मंत्र भी देंगे. छिंदवाड़ा को बीजेपी के रंग में रंगने की कोशिश पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कवायद शुरु कर दी है
वीडी शर्मा का बूथ मैनेजमेंट प्लान-गृहमंत्री अमित शाह के कार्यक्रम से पहले वीडी शर्मा खुद छिंदवाड़ा पहुंच जाएंगे. अगले सप्ताह 19 मार्च को वीडी शर्मा बूथ विस्तारक कार्यक्रम के तहत ना केवल आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा जिले के कार्यकर्ताओं को बीजेपी को मजबूत करने का मंत्र देंगे. इसके साथ ही गृह मंत्री अमित शाह के आगामी दौरे को लेकर रणनीति भी बनाई जाएगी.
वीडी शर्मा ने कहा कि बीजेपी का लक्ष्य छिंदवाड़ा जिले की सभी विधानसभा सीटें और 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करना है. छिंदवाड़ा जीतने के साथ ही हम आगामी दोनों बड़े चुनावों में जीतने के संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे. वीडी शर्मा ही नहीं बल्कि बीजेपी के दूसरे नेता भी छिदवाड़ा में डेरा जमा रहे हैं. अमित शाह के आगमन से पहले कांग्रेस का गढ़ माने जाने छिदवाड़ा में प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद ने तीन विधानसभाओं में बूथ विस्तारक अभियान में शामिल होने के साथ ही विधानसभा प्रबंध समितियों की बैठकें कर चुके हैं.
शिवराज बनाम कमलनाथ-सीएम शिवराज चौहान पिछले महीने ही छिंदवाड़ा पहुंचे थे, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया था. इस दौरान आयोजित सभा में मुख्यमंत्री ने कमलनाथ पर भी जमकर निशाना साधा था. मुख्यमंत्री ने कहा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे आदर्श हैं और उन्होंने मुगलों को खदेड़ा था. वहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी छिंदवाड़ा प्रवास के दौरान कमलनाथ को निशाने पर लिया था. एमपी का चुनाव शिवराज बनाम कमलनाथ के बीच सिमट रहा है. ऐसे में शिवराज और कमलनाथ एक दूसरे पर जमकर हमला कर रहे हैं.
छिंदवाड़ा कांग्रेस का मजबूत दुर्ग- बीजेपी के बड़े नेता जिस तरह से छिंदवाड़ा पर नज़र गढ़ा रखी है उससे इतना तो साफ है कि आगामी विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी छिंदवाड़ा को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. कमलनाथ छिंदवाड़ा से 9 बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं जबकि 2019 में उनके बेटे नकुल नाथ सांसद बने हैं. 1977 के लोकसभा चुनावों में उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो गया था पर छिंदवाड़ा से कांग्रेस को जीत मिली थी.
बीजेपी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट महज एक बार 1997 के उपचुनाव में जीत दर्ज की है और सुंदर लाल पटवा सांसद चुने गए थे. मोदी लहर के में भी बीजेपी इस सीट पर कांग्रेस को मात नहीं दे सकी है. छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में सात विधान सभा क्षेत्र आते हैं. विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस का दबदबा छिंदवाड़ा जिले में दिखा था. कमलनाथ खुद विधायक हैं और उनके बेटे सांसद हैं. ऐसे में बीजेपी कमलनाथ को छिंदवाड़ा में घेरने की कोशिश कर रही है ताकि वो अपने क्षेत्र से बाहर न निकल सके.
कमलनाथ को घर में घेरने की तैयारी- दरअसल, मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमान कमलनाथ के हाथों में है और पार्टी उन्हीं के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतर रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी छोड़कर जा चुके हैं और दिग्विजय सिंह की पकड़ पहले जैसे नहीं रह गई है. इस तरह से कमलनाथ के ऊपर ही कांग्रेस का पूरा दारोमदार टिका हुआ है. पिछले छह सालों से कमलनाथ अपना पूरा फोकस मध्य प्रदेश पर कर रखा है. 2018 में जीतकर सीएम बने थे, लेकिन सिंधिया और उनके समर्थकों के बगावत के बाद कमलनाथ की कुर्सी चली गई थी. मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भी कमलनाथ ने एमपी नहीं छोड़ा और अकेले दम पर कांग्रेस को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे हैं. ऐसे में बीजेपी की कोशिश कमलनाथ को उनके ही घर में उलझाकर मध्य प्रदेश जीतने की कवायद कर रही है.
बीजेपी से सतर्क कमलनाथ-छिंदवाड़ा में बीजेपी के घेराबंदी की कवायद से कमलनाथ सतर्क हैं. अमित शाह के पहुंचने से पहले कमलनाथ 19 मार्च को अपने बेटे नकुलनाथ के साथ पहुंच रहे हैं ताकि अपने गढ़ में मजबूत पकड़ बनाए रख सकें. कमलनाथ हर महीने छिंदवाड़ा पहुंच रहे हैं. 19 मार्च को तीन दिवसीय दौरे पर छिंदवाड़ा आ रहे कमलनाथ और नकुलनाथ जिले में कई आयोजनों में हिस्सा लेंगे. इस तरह से कमलनाथ बीजेपी की सियासी चाल को अपने इलाके में कामयाब नहीं होने देना चाहते हैं, लेकिन बीजेपी भी पूरे दमखम के साथ छिंदवाड़ा में कमल खिलाने की तैयारी में है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी छिंदवाड़ा में कमलनाथ को घेर पाएगी?
पांच प्वाइंट में समझें आदिवासी सीटों का गणित
1. भाजपा की नजर मध्य प्रदेश के आदिवासी वोटरों पर हैं. प्रदेश में 230 में से 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं.
2. पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 47 सुरक्षित सीटों में से कांग्रेस 31 सीटें कांग्रेस जीतने में सफल रही थी जबकि बीजेपी को सिर्फ 16 सीटें ही मिली थीं. हालांकि, इससे पहले 2013 के चुनान में बीजेपी 47 में से 30 सीटें जीती थीं. इसीलिए बीजेपी आदिवासियों को फिर से अपने साथ जोड़ने की हरसंभव कोशिश कर रही है.
3. आदिवासियों को लुभाने की कोशिश के अंतर्गत बीजेपी उनके शहीदों के सम्मान के कार्यक्रम आयोजित कर रही है. इसी के तहत अमित शाह छिंदवाड़ा आ रहे हैं. वहां वे आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बादल भोई की जन्मस्थली पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.
4. अमित शाह फरवरी में सतना जाकर शबरी कोल जनजाति के महाकुंभ में शामिल हुए थे. इससे पहले प्रमुख आदिवासी नायकों टंट्या भील, रानी कमलापति के नामों पर चौराहे और रेलवे स्टेशन का नाम रखा जा चुका है. ऐसे ही बिरसा मुंडा की जन्मतिथि पर छुट्टी की घोषणा हो चुकी है. साथ ही आदिवासी पंचायतों को `पेसा एक्ट` के तहत उनकी जल-जंगल-जमीन के हर मामले में निर्णय करने का अधिकार भी दिया जा चुका है.
5. एमपी के छिंदवाड़ा के आसपास बैतूल-हरदा के अलावा मंडला-डिंडोरी लोकसभा सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है. छिंदवाड़ा में आठ लाख से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं. बीजेपी की कोशिश है कि किसी भी तरह से आदिवासियों को साथ लाया जा सके. अमरवाड़ा, जुन्नारदेव, पांढुरना सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.