कारगिल से ऑपरेशन सिंदूर तक, भारत की सैन्य शक्ति के दो दशक

जब भारत कारगिल विजय के 26 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है, तभी हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर से इसकी तुलना की जा रही है. वीरता, साहस और भारतीय सशस्त्रबलों का संकल्प आज भी अडिग है, लेकिन तकनीक और युद्ध कौशल के स्तर पर भारत की सेना ने ऑपरेशन विजय से ऑपरेशन सिंदूर तक लंबा सफर तय किया है.
1999 की गर्मियों में, भारतीय सैनिकों ने दुर्गम कारगिल की चोटियों पर पाकिस्तान के खिलाफ एक कठिन युद्ध लड़ा, जो 3 मई से 26 जुलाई तक करीब ढाई महीने चला. इस युद्ध में भारत ने 527 वीर जवान खोए. 26 जुलाई 1999 को भारत ने 150 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में सभी प्रमुख चोटियों को फिर से हासिल कर विजय की घोषणा की.
ऑपरेशन विजय से सिंदूर तक
26 साल बाद, 2025 में एक बार फिर भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया, इस बार पहलगाम नरसंहार के बाद. हालांकि, कारगिल युद्ध एक लंबा और सीधे टकराव वाला युद्ध था, वहीं ऑपरेशन सिंदूर एक आधुनिक, “नॉन-कॉन्टैक्ट” (बिना आमने-सामने के) ऑपरेशन था, जिसमें मिसाइल, एयर डिफेंस और घातक गोला-बारूद का इस्तेमाल हुआ.
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया, जिसमें पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया. इस साल का कारगिल विजय दिवस, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान पर मिली सफलता के बाद पहली बार मनाया जा रहा है. हालांकि, कारगिल युद्ध और ऑपरेशन सिंदूर तकनीक, समय और रणनीति में काफी अलग थे. लेकिन, दोनों का मकसद पाकिस्तान की घुसपैठ और आतंकवाद को हराना था. पाकिस्तानी सेना को दोनों ही बार करारा जवाब मिला एक बार सीधी लड़ाई में और दूसरी बार तकनीकी ताकत के जरिए.
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्रबलों ने जब 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, तो पाकिस्तान ने भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की. इसके जवाब में भारत ने कई पाकिस्तानी एयरबेस और एयर डिफेंस साइट्स को तबाह कर दिया.
पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को उछाला
1999 में कारगिल में घुसपैठ कर पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने की कोशिश की थी. 2025 में भी पाकिस्तान की मंशा यही थी, जब पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पहलगाम पर हमला किया. इस हमले से ठीक पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने भड़काऊ बयान देकर कश्मीर मुद्दे को उछाला था.
जहां ऑपरेशन विजय एक रक्षात्मक कार्रवाई थी. वहीं, ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ भारत का एक आक्रामक संदेश है. ऑपरेशन विजय कई हफ्तों तक चला, जबकि ऑपरेशन सिंदूर में सिर्फ 25 मिनट में 9 आतंकी ठिकानों पर हमले किए गए. पाकिस्तान ने महज चार दिन में भारत से संघर्ष विराम की गुहार लगाई. हालांकि, भारत का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है.
युद्ध की पीढ़ियां
बदलता स्वरूप सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार, युद्धों की विभिन्न पीढ़ियां होती हैं-
- पहली पीढ़ी: आमने-सामने की लड़ाई
- दूसरी पीढ़ी: तोपों और राइफलों के साथ सीधी भिड़ंत
- तीसरी पीढ़ी: चारों ओर से घेर कर हमला करना (नॉन-लिनियर)
- चौथी पीढ़ी: तकनीक, रणनीति और मोबाइल युद्ध प्रणाली
- कारगिल युद्ध को चौथी पीढ़ी का युद्ध कहा जाता है, जिसमें पश्चिमी मोर्चे पर हर प्रकार की सैन्य शक्ति का इस्तेमाल हुआ.
ऑपरेशन सिंदूर
4.5वीं पीढ़ी का युद्ध ऑपरेशन सिंदूर इससे भी आगे बढ़ा. इसे 4.5 जनरेशन वॉर कहा जा रहा है. इसमें हाई-टेक तकनीक का अधिकतम उपयोग हुआ. भारत ने आतंकियों के अड्डों पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे सटीक हमले किए. पाकिस्तान ने भी ड्रोन भेजे, जिन्हें भारत की एयर डिफेंस प्रणाली ने नाकाम किया.
कारगिल युद्ध में पाकिस्तान ने भारतीय वायुसीमा का उल्लंघन नहीं किया था, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर भारत की वायु सुरक्षा प्रणाली की वास्तविक परीक्षा बन गया. इस दौरान यह देखा गया कि भारत की एयर डिफेंस प्रणाली कैसे सैन्य और नागरिक ठिकानों को सुरक्षित रख सकती है. दोनों देशों ने लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल किया यह एक नॉन-कॉन्टैक्ट कॉन्फ्लिक्ट था, जिसमें दुश्मन पर दूर से हमला किया गया.
हथियारों और तकनीक का अंतर
ऑपरेशन विजय के समय भारतीय सेना पुराने सिस्टम पर निर्भर थी. पैदल सेना के पास INSAS और ड्रैगुनोव स्नाइपर राइफलें थीं, भारी मारक क्षमता Bofors तोपों से मिली और 105 मिमी फील्ड गन, मोर्टार, AK-47, और कार्ल गुस्ताफ रॉकेट लॉन्चर का उपयोग हुआ. वायुसेना ने MiG-21 और MiG-27 जैसे विमान तैनात किए.
अब ऑपरेशन सिंदूर तक आते-आते, भारतीय सैन्य क्षमता तकनीक के मामले में बेहद आगे निकल चुकी है. पैदल सेना के पास अब SIG716i और AK-203 जैसे भरोसेमंद हथियार हैं. तोपखाने में धनुष होवित्ज़र, M777 अल्ट्रा-लाइट गन और K9 वज्र जैसे आधुनिक हथियार जुड़ चुके हैं.
सटीक निशाना लगाने और निगरानी में भारी सुधार हुआ है. उन्नत ड्रोन, लूटिंग म्यूनिशन और AI आधारित युद्ध प्रबंधन प्रणाली का उपयोग हुआ है. इसके साथ ही ऑपरेशन सिंदूर में आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम जैसे आकाश मिसाइल और स्वदेशी रडार तैनात किए गए थे, जो भारत की रक्षा नीति को रिएक्टिव से प्रोएक्टिव बना रहे हैं.
कारगिल युद्ध और ऑपरेशन सिंदूर भले ही दो अलग-अलग समय और तकनीकी युग की कहानियां हों, लेकिन दोनों में एक बात समान है भारत की संप्रभुता से किसी भी तरह की छेड़छाड़ का जवाब भारतीय सेना पूरी ताकत से देती है. जहां कारगिल ने हमारे जज्बे को परिभाषित किया, वहीं ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को भारत की बदलती सैन्य शक्ति और सोच का संदेश दिया है.