टेक्नोलॉजी
गेम डाउनलोड करते ही जिंदगी हुई हैक, ऑनलाइन गेमिंग बना साइबर अपराधियों का नया अड्डा ऑनलाइन गेमिंग: मनोरंजन या साइबर जाल?

राष्ट्र चंडिका न्यूज़, भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल गेमिंग बाजार बन चुका है, जहां करीब 40 करोड़ से ज्यादा लोग ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं। लेकिन इस तेजी से बढ़ती लोकप्रियता के साथ एक गंभीर खतरा भी बढ़ रहा है—साइबर फ्रॉड।
भारत में ऑनलाइन गेमिंग का बाज़ार तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही साइबर फ्रॉड का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है। गेमर्स को लुभाने के लिए स्कैमर्स नए-नए तरीके अपना रहे हैं, जिससे लोग न सिर्फ अपना कीमती समय गँवा रहे हैं, बल्कि अपनी कमाई से भी हाथ धो रहे हैं।
बढ़ रहा है साइबर फ्रॉड का ग्राफ
साइबर पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, ऑनलाइन गेमिंग के ज़रिए स्कैमर्स लोगों की व्यक्तिगत जानकारी, क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल्स चुराने में कामयाब हो रहे हैं। इतना ही नहीं, साइबर बुलिंग और ब्लैकमेलिंग के मामले भी सामने आ रहे हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश में एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ हुआ, जो युवाओं को कम पैसे में ज्यादा जीत का लालच देकर फंसाता था और गेम की हार-जीत को अपने हाथों में रखता था। यह एक तरह का डेटा डकैती अभियान था।
महादेव बेटिंग ऐप: एक बड़ा उदाहरण
बीते समय में महादेव बेटिंग ऐप और इससे जुड़े ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी की खबरें खूब सुर्खियों में रहीं। यह ऐप ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बनाया गया था, जहाँ यूजर्स पोकर, चांस गेम्स, कार्ड गेम्स और क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल जैसे खेलों पर सट्टा लगा सकते थे। इस ऐप को लोगों तक पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया मार्केटिंग और इंफ्लुएंसर्स का भी सहारा लिया गया था।

बच्चों पर बढ़ता खतरा
आजकल कम कीमत पर फोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी की उपलब्धता के कारण ऑनलाइन जुए की लोकप्रियता पूरे विश्व में फैल रही है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। बच्चे घंटों तक ऑनलाइन गेम खेलते हैं, और इन्हीं गेम्स में छिपे चैट रूम, इनाम के लालच और फर्जी ऑफर्स के ज़रिए साइबर अपराधी उन्हें अपने जाल में फंसा लेते हैं। एक हालिया मामले में, एक 13 वर्षीय बच्चे ने वर्चुअल पॉइंट्स खरीदने के लिए अपने पिता का डेबिट कार्ड इस्तेमाल किया और 75,000 रुपये गंवा दिए। कई लोग मनोरंजन के लिए ऑनलाइन जुआ खेलना शुरू करते हैं, लेकिन जल्द ही उन्हें इसकी लत लग जाती है, जिसका उनके जीवन पर नकारात्मक असर पड़ने लगता है।
क्या हैं ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े खतरे?
निजी जानकारी की चोरी: ऐप डाउनलोड करते ही अक्सर नाम, मोबाइल नंबर, अकाउंट और आधार जैसी डिटेल्स मांगी जाती हैं। ठग इन डिटेल्स का इस्तेमाल कर आपके नाम पर नए अकाउंट खोल सकते हैं या बैंक अकाउंट हैक कर सकते हैं।
साइबर बुलिंग और ब्लैकमेलिंग: कुछ गेमर्स दूसरों को डराने-धमकाने या मानसिक दबाव डालने के लिए ही खेलते हैं।
मालवेयर और वायरस: ईमेल, मैसेज या चैट में भेजे गए फर्जी लिंक पर क्लिक करने से आपके फोन में वायरस आ सकता है। फ्री गेम्स के साथ भी मालवेयर वायरस आ सकता है, जो डिवाइस से डेटा चुरा सकता है।
पहचान की चोरी और उकसाना: साइबर अपराधी खुद को नाबालिग बताकर बच्चों से दोस्ती करते हैं और फिर उनकी जानकारी चुराते हैं। यूजर्स को टास्क देकर या बहला-फुसलाकर उन्हें किसी गैरकानूनी काम के लिए उकसाया जा सकता है।
कहाँ करें शिकायत?
साइबर सेल अधिकारियों के अनुसार, गेम्स में पॉइंट्स या रिवार्ड के चक्कर में लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं और अनजाने लिंक्स पर क्लिक कर देते हैं, जिससे डेटा चोरी हो जाता है। ऐसी घटना होने पर साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सूचना दें या साइबरक्राइम डॉट कॉम पर शिकायत दर्ज करें। आप अपने नजदीकी साइबर पुलिस थाने में भी शिकायत कर सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान:
गेमिंग ऐप के पब्लिशर की जानकारी ज़रूर चेक कर लें।
अपनी निजी जानकारी देने से बचें।
आकर्षक सब्सक्रिप्शन ऑफर के जाल में न फँसें।
ई-मेल या टेक्स्ट मैसेज में आए संदिग्ध लिंक्स पर क्लिक न करें।
क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड की जानकारी किसी के साथ साझा न करें।
अपने कंप्यूटर या स्मार्टफोन में अच्छा एंटीवायरस इंस्टॉल करें।
ऑनलाइन गेमिंग अकाउंट और अन्य ऑनलाइन अकाउंट के पासवर्ड मजबूत रखें।
कोई दिक्कत होने पर अपने माता-पिता को जानकारी दें।
आउटडोर गेम्स खेलने की आदत डालें।
ऑनलाइन गेमिंग मनोरंजन का एक शानदार ज़रिया हो सकता है, लेकिन सतर्क रहना और अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है। क्या आप भी ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े खतरों से वाकिफ थे?
ऑनलाइन गेमिंग जहां मनोरंजन का माध्यम है, वहीं यह एक बड़ा खतरा भी बनता जा रहा है। इसलिए सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।