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अखंड सौभाग्य की कामना से रखें वट सावित्री व्रत

हिंदू धर्म में ऐसे कई सारे व्रत है जो महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से रखती है इन्हीं में से एक है वट सावित्री का व्रत जो कि बेहद ही खास माना जाता है इस व्रत को महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए रखती है इस दिन उपवास करते हुए पूजा पाठ किया जाता है।

पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या और पूर्णिमा के दिन यह व्रत किया जाता है आपको बता दें कि इस व्रत को ब्रह्म सावित्री व्रत भी कहा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के साथ बिना कुछ खाए निर्जला व्रत करती है और वट वृक्ष की विधिवत पूजा करती है तो आज हम आपको वट सावित्री व्रत पूजा की तारीख और शुभ मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है।

वट सावित्री व्रत की तारीख और मुहूर्त-
धार्मिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 18 मई को रात्रि 9 बजकर 42 मिनट से आरंभ हो रही है और 19 मई को रात्रि 9 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदया तिथि की मानें तो अमावस्या पर वट सावित्री का व्रत 19 मई को करना उत्तम रहेगा।

आपको बता दें कि इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पूजन की तैयारी करती है। सोलह श्रृंगार करने के बाद शुभ मुहूर्त में बरगद के पेड़ के नीचे महिलाएं शिव पार्वती और श्री गणेश की ​पूजा करती है। इसके बाद वृक्ष को पानी से सींचती है। फिर बरकत के चारों ओर सूती धागा बांधती है इसके बाद परिक्रमा करती है। मान्यता है कि इस दिन सौभाग्य प्राप्ति के लिए दान पुण्य के कार्य करना भी उत्तम होता है।

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