पूर्व सपा सांसद रिजवान का विवाद और दलबदल का है पुराना इतिहास

बलरामपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद से जुड़े देवीपाटन मण्डल के बलरामपुर जिले में सपा नेता की हत्या के मामले में गिरफ्तार हुए सपा के पूर्व सांसद रिजवान जहीर का विवादों में जेल जाने और राजनीतिक लाभ के लिए दलबदल का पुराना इतिहास रहा है।
बलरामपुर के तुलसीपुर थाना क्षेत्र में पुलिस ने कथित राजनीतिक रंजिश के चलते हाल ही में हुई सपा नेता की हत्या के मामले में पूर्व सपा सांसद व पूर्वांचल के बाहुबली जहीर को सोमवार को गिरफ्तार किया है। जहीर के लिए गिरफ्तारी कोई नयी बात नहीं है। जहीर करीब तीस साल के अपने राजनीतिक सफर में तीन बार विधायक और दो बार सांसद बने। जहीर की पहचान सपा, बसपा, कांग्रेस एवं पीस पार्टी में रहते हुए अपनी राजनीतिक बचाने के लिये रास्ते के रोड़े हटाते रहने वाले बाहुबली की है। इस वजह से जहीर कई बार कानून के शिकंजे में फंसता रहा। अभी हाल ही में हुये पंचायत चुनाव में भी आगजनी और बलवा के आरोप में जहीर को जेल जाना पड़ा था।
आपराधिक छवि के बाहुबलियों पर शिकंजा कसने वाली योगी सरकार में रिजवान पर रासुका भी लगाया गया। लेकिन जेल से बाहर आते ही रिजवान ने पुन: विधानसभा चुनाव 2022 के लिये गणित बैठाना शुरू कर दिया। वह अपनी पुत्री जेबा रिजवान को तुलसीपुर सीट से विधानसभा भेजने की तैयारियों में जुट गया। रिजवान ने सपा में 17 साल बाद बेटी जेबा के साथ हाल ही में घर वापसी की। इस बीच तुलसीपुर नगर पंचायत से पत्नी कहकशां को निर्दलीय अध्यक्ष बनवाकर सपा में शामिल होने वाले फिरोज उफर् पप्पू ने भी तुलसीपुर विधानसभा से सपा के टिकट की दावेदारी ठोंक दी। इसी बात को लेकर दोनों के बीच राजनीतिक रंजिश पनपी और यही बात फिरोज की हत्या का कारण भी बनी।
रिजवान के सपा में शामिल होने से जिले के राजनीतिक समीकरणों में भी बदलाव आया है। निर्दलीय चुनाव लड़ कर 1989 में विधायक बना जहीर, 2021 तक लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों का सफर तय कर चुका है। क्षेत्रीय राजनीतिक में तेजी से उठे जहीर के कथित आपराधिक रिकॉर्ड के कारण समय के साथ वह अपने करीबियों से भी दूर होते गये।