कांग्रेस के अधिवेशन में चुनावी चेहरे पर बन सकती है आम सहमति
भोपाल । मध्यप्रदेश में कांग्रेस कमलनाथ के चेहरे पर ही इस साल होने वाले विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। इसके लिए कांग्रेस के कद्दावर नेताओं ने प्रदेश के सभी सियासी समीकरणों को साधते हुए कमलनाथ के नाम को ही अंतिम माना है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को कांग्रेस अलग जिम्मेदारियों के साथ देश और प्रदेश की राजनीति में सक्रिय करेगी। हालांकि कांग्रेस आलाकमान की ओर से अभी तक आधिकारिक तौर पर इसकी कोई घोषणा नहीं हुई है। लेकिन कांग्रेस के सूत्रों का मानना है कि यही तय है। वहीं राजस्थान में अभी भी कांग्रेस के लिए खुलकर चेहरे की घोषणा करने में दिक्कत हो रही है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि रायपुर में होने वाले कांग्रेस के अधिवेशन में राजस्थान में कौन होगा चेहरा, इस पर आम सहमति बन सकती है।
कांग्रेस के लिए शुक्रवार से शुरू होने बाला रायपुर का महाधिवेशन कई मायनों में महत्वपूर्ण है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक इस महाधिवेशन में कांग्रेस न सिर्फ आने वाले समय में लोकसभा चुनावों की पूरी रूपरेखा तैयार करेगी, बल्कि विधानसभा चुनावों का पूरा ग्राउंड भी तैयार किया जाएगा। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि महाधिवेशन में तमाम मुद्दों के साथ कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बने मध्यप्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक जैसे विधानसभा के चुनावों की भी चर्चा की जाएगी। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इन तीनों राज्यों में किसके चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा उसका मंथन होना। पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि कांग्रेस के इस महाधिवेशन में राजस्थान, मध्यप्रदेश में पार्टी के चेहरे को स्पष्ट करने का भी अनुमान लगाया जा रहा है।
मप्र में तस्वीर साफ
पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि मध्यप्रदेश में तो वहां के कद्दावर नेता कमलनाथ को लेकर स्थिति पूरी तरीके से साफ हो चुकी है। वह कहते हैं कि मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में कमलनाथ के चेहरे को ही आगे रखा जाएगा और उनके चेहरे पर ही चुनाव लड़ा जाना है। पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह को लेकर जरूर कुछ नेताओं के मन सवाल हैं। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाली जिम्मेदारियों और देश के तमाम अन्य राज्यों में अहम भूमिका निभाने वाले बड़े नेता के तौर पर ही आगे किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में कमलनाथ को आगे करने के पीछे कांग्रेस के नेता उनकी सॉफ्ट हिंदुत्व के चेहरे के साथ सभी समुदायों में स्वीकारोक्ति ही बताते हैं। कांग्रेस पार्टी से जुड़े एक नेता बताते हैं कि 2018 में हुए मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में सियासी उथल-पुथल के चलते ही उनके हाथ से सत्ता गई थी। लेकिन कमलनाथ को मध्यप्रदेश की जनता ने स्वीकार किया था। इस बार भी कांग्रेस अपने उसी अनुभवी चेहरे पर दांव लगाकर मध्य प्रदेश के चुनाव कांग्रेस ताल ठोक रही है।
राजस्थान के सियासी समीकरणों से चिंता
मध्यप्रदेश की सियासत को आसान करने के बाद कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता राजस्थान की सियासी समीकरणों को साधने की है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि अनुमान तो यही लगाया जा रहा था कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के बाद राजस्थान में जो सियासी ड्रामा चल रहा है, उसका आधिकारिक तौर पर समापन हो जाएगा। राजस्थान कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ नेता बताते हैं कि पार्टी को कम से कम यह स्पष्ट तो कर ही देना चाहिए था कि इस साल होने वाला राजस्थान का चुनाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के चेहरे पर लड़ा जाएगा या सचिन पायलट के चेहरे पर। हालांकि दोनों चेहरों को लेकर के कांग्रेस पार्टी के नेताओं में अलग-अलग राय जरूर बन रही है। लेकिन कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फिलहाल जिस तरीके से राजस्थान को लेकर कांग्रेस आलाकमान की ओर से चुप्पी बनी हुई है, वह इशारे यही कर रही है कि राजस्थान में फिलहाल कोई बड़ी घोषणा चेहरे को लेकर नहीं होने वाली है। उनका तर्क है कांग्रेस के लिए दोनों चेहरे सचिन पायलट और अशोक गहलोत बहुत महत्वपूर्ण हैं।
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