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दिल्ली/NCR

न गर्भाशय, न बाईं किडनी… महिला ने पति से छिपाई ये बात, हाईकोर्ट बोला- ऐसी शादी मान्य नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक शादी को रद्द कर दिया. दरअसल, यहां एक पति ने पत्नी और उसके परिवार पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे. पति का कहना था कि उसकी पत्नी का न तो गर्भाशय है और न ही बायां गुर्दा. कोर्ट ने पति के हक में फैसला सुनाते हुए कहा- ये शादी रद्द की जाती है. कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 12(1)(सी) के तहत इसे धोखाधड़ी माना.

कोर्ट ने कहा इस प्रकार की धोखाधड़ी वैवाहिक जीवन की मूल अपेक्षाओं को प्रभावित करती है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि 24 वर्षीय शिक्षित महिला को अपनी मासिक धर्म की अनुपस्थिति के बारे में पता होना चाहिए था जो गर्भाशय के अभाव का संकेत देता है.

रिपोर्ट के अनुसार, महिला ने शादी से पहले यह तथ्य अपने पति और परिवार से छिपाया. बाद में जब एक अल्ट्रासाउंड स्कैन में गर्भाशय और बाएं गुर्दे (किडनी) की अनुपस्थिति का पता चला तो पति ने तीस हजारी फैमिली कोर्ट में शिकायत दर्ज की. सभी पक्षों और मेडिकल रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने इसे धोखाधड़ी मानते हुए शादी को शून्य घोषित कर दिया. हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने महिला की दलील को खारिज करते हुए कहा कि इस तरह की गंभीर जानकारी छिपाना वैवाहिक सहमति को प्रभावित करता है और धोखाधड़ी के दायरे में आता है.

क्या कहा कोर्ट ने?

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि गर्भाशय की अनुपस्थिति से गर्भधारण करने की अक्षमता वैवाहिक दायित्वों और अपेक्षाओं के मूल पर आघात करती है. इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. ऐसी परिस्थिति को छिपाना स्वतंत्र और सूचित सहमति की नींव पर प्रहार करता है, जिससे विवाह अमान्य हो सकता है.

पति ने क्या बताया?

पति ने बताया- हमसे यह बात छिपाई गई थी कि मेरी होने वाली पत्नी कभी मां नहीं बन सकती. क्योंकि उसका गर्भाशय ही नहीं है. उसे पीरियड्स नहीं आते थे. शादी के बाद मुझे जब इस बात का पता चला तो हम सभी हैरान रह गए. हमारे साथ धोखा हुआ था. इसलिए हमने कोर्ट से मदद ली. कोर्ट में कुछ समय तक यह केस चला. अब हमारे हक में कोर्ट ने फैसला सुनाया है.

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