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उत्तरप्रदेश

झांसी में जेल के अंदर दिखे राखी के रंग… बहनों ने भाइयों की कलाई पर बांंधा प्यार

रक्षाबंधन का त्यौहार चाहे गांव की चौपाल में मनाया जाए या फिर ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरे कारागार में ये भाई-बहन के रिश्ते का स्नेह हर बंधन को तोड़ देता है. आज झांसी के जिला कारागार में रक्षाबंधन का नजारा कुछ ऐसा ही था. यहां सलाखों के पीछे बंद भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए बहनों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. सुबह से ही जेल के बाहर लंबी लंबी कतारें लग गईं.

चेहरे पर उत्सुकता, आंखों में आंसू और हाथों में थाल सजाए बहनें अपने भाइयों की सलामती की दुआओं के साथ झांसी के जिला कारागार पहुंचीं. आज शनिवार की सुबह झांसी जिला कारागार के बाहर मानो मेला सा लग गया. कई महिलाएं दूर-दराज के गांवों से बस और ट्रेन पकड़कर झांसी जिला कारागार में बंद अपने अपने भाइयों के पास पहुंचीं.

बहनें अपने भाइयों से मिलने के लिए उत्साहित थीं

हाथ में राखी, मिठाई और नारियल लिए बहनें अपने भाइयों से मिलने के लिए उत्साहित थीं. सुरक्षा जांच और पहचान सत्यापन के बाद उन्हें जेल परिसर के अंदर प्रवेश दिया गया. जेल प्रशासन ने इस खास मौके के लिए अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया, ताकि प्रक्रिया सुचारु रूप से चल सके और किसी भी भाई के बहन को किसी तरह की असुविधा न हो.

मुस्लिम हो या हो सिख ईसाई, सभी ने राखी बंधवाई

त्योहार की खूबसूरती इस बार सांप्रदायिक सौहार्द में भी झलकी. जेल में बंद मुस्लिम, सिख, ईसाई यानी सभी समुदाय के कैदियों ने भी बहनों से राखी बंधवाई. किसी ने अपने रिश्तेदार की बहन से तो किसी ने स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा भेजी गई राखी से अपनी कलाई सजाई. यह दृश्य देखकर कारागार में मौजूद हर कोई भावुक हो गया क्योंकि यहां धार्मिक सीमाएं मिट गई थीं और सिर्फ भाई-बहन का प्यार दिखाई दे रहा था.

जेल अधीक्षक के निर्देश पर इस मौके के लिए विशेष इंतजाम किए गए. बहनों के बैठने के लिए टेंट, पीने के पानी की व्यवस्था, मुलाकात का निर्धारित समय और सुरक्षा जांच के लिए अलग से काउंटर लगाए गए. स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी कैदियों को राखी और मिठाई उपलब्ध कराई. कुछ संस्थाओं ने तो भावनात्मक पत्र भी भिजवाए, जिनमें भाइयों के लिए प्रेरणा और शुभकामनाओं के संदेश लिखे गए थे.

सलाखों के पीछे भी छलका प्यार

जेल के भीतर जब बहनों ने भाइयों की कलाई पर राखी बांधी तो कई आंखें नम हो गईं. भाई ने बहन से उसके हालचाल पूछे, तो बहन ने उसके जल्दी घर लौटने की दुआ की. मिठाई का एक-एक टुकड़ा जैसे मन की दूरी को कम कर रहा था. कुछ बहनों ने तो अपने भाइयों को गले लगाकर आंसू पोंछे और हिम्मत बंधाई. जेल प्रशासन का मानना है कि ऐसे अवसर कैदियों में सकारात्मक सोच को बढ़ाते हैं और उन्हें समाज से जोड़े रखते हैं.

रक्षाबंधन न सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि जेल की दीवारों के बीच भी इंसानियत और अपनापन का संदेश फैलाता है. आज झांसी जिला कारागार में रक्षाबंधन ने यह साबित कर दिया कि प्यार और स्नेह की डोर किसी सलाखों, ताले या ऊंची दीवार से नहीं टूट सकती. भाई-बहन का रिश्ता हर परिस्थिति में जीवित रहता है और यही इसकी असली ताकत है.

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