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उत्तरप्रदेश

‘प्रेमानंद महाराज और अनिरूद्धाचार्य माफी मांगें’, जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने की मांग

कथावाचक अनिरूद्धाचार्य इन दिनों अपने बयानों को लेकर विरोध झेल रहे हैं. उनके बयानों के खिलाफ जमीन से लेकर सोशल मीडिया तक, लगातार आक्रोश देखने को मिल रहा है. उनके बयान के वायरल होने के बाद प्रेमानंद महाराज का भी एक बयान वायरल हुआ. हालांकि, प्रेमानंद महाराज को अधिकांश लोगों ने सही ठहराया है. इस बीच जगतगुरु परमहंस आचार्य महाराज ने अनिरूद्धाचार्य को कम ज्ञानी बताया है.

वृंदावन पहुंचे परमहंस आचार्य महाराज ने कहा कि अनिरूद्धाचार्य को ज्ञान का अभाव है या पैसों का अहंकार. साथ ही उन्होंने कहा कि प्रेमानंद महाराज ने कन्याओं के लिए जो भी कहा उसमें उनका भाव ठीक था लेकिन शब्दावली ठीक नहीं थी. उन्होंने कहा कि श्रीजी रो रही हैं, क्योंकि आपने कन्याओं के लिए जो कहा है वह बिल्कुल गलत है. मैं चाहता हूं कि आप माफी मांगे और बयान जारी करें अन्यथा समाज आपको कभी माफ नहीं करेगा.

‘मुझे खुद राधा रानी ने बताया’

TV9 भारतवर्ष की खास बातचीत में उन्होंने बताया कि ‘मैं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की नगरी से आया हूं और श्रीजी की नगरी में पहुंचा हूं. यहां पहुंचने के बाद मुझे पता चला कि श्रीजी की नगरी में कन्याओं को लेकर टिप्पणी की गई है. उस टिप्पणी से मुझे बहुत ही ज्यादा पीड़ा हुई है. खासकर तब जब कथावाचक के साथ-साथ संत प्रेमानंद महाराज ने टिप्पणी की. वो तो राधा रानी के सबसे बड़े भक्त बताए जाते हैं.’

उन्होंने कहा कि ‘आज के समय में प्रेमानंद महाराज को सबसे ज्यादा पूजनीय माना जाता है. उनके द्वारा कन्याओं के प्रति इस प्रकार की टिप्पणी करना बहुत ही निंदनीय है. मुझे बहुत ही ज्यादा कष्ट हुआ, जब मैंने उनका वीडियो सुना.’

अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं आपको बता दूं. मुझे स्वयं राधा रानी ने कहा कि मुझे बहुत पीड़ा हुई है कि मेरे भक्त द्वारा ऐसा कहा गया. वह रो रही हैं. जिस दिन महाराज ने यह शब्द का प्रयोग किया था, उस दिन राधा रानी श्रीजी काफी पीड़ा में थीं.’

कथावाचक को ज्ञान नहीं या पैसों का घमंड

उन्होंने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य को लेकर कहा कि ‘या तो उन्हें पैसों का अहंकार हो गया है या फिर उनको बिल्कुल ही ज्ञान नहीं है, क्योंकि कम उम्र में उन्होंने ज्यादा पैसा ज्यादा उन्नति कर ली है. उन्हें वो पचा नहीं पा रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं तो सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि दोनों एक बार फिर से समाज के समक्ष आकर माफी मांग लें और आगे से ऐसी कोई भी बात ना करें. कन्याओं के ऊपर टिप्पणी करना स्वयं श्रीजी पर टिप्पणी करना है, क्योंकि कन्या श्रीजी का रूप होती हैं और उनका बोलना ठीक नहीं.

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