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ऑपरेशन सिंदूर पर मुस्लिम सांसदों को बोलने का मौका नहीं, क्या बड़ा मैसेज देने से चूक गए कांग्रेस-सपा समेत मुख्य दल?

देश की संसद के दोनों सदनों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसद ऑपरेशन सिंदूर पर अपनी बात रख रहे हैं. लोकसभा में चर्चा पूरी हो चुकी है. वहीं, राज्यसभा में बहस जारी है. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था. सेना का ये अभियान अब भी जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद लोकसभा में इसका ऐलान किया. 6-7 मई को शुरू हुए इस ऑपरेशन में कर्नल सोफिया कुरैशी की चर्चा हिंदुस्तान के साथ पाकिस्तान में खूब हुई. कर्नल सोफिया 7 से 10 मई तक सेना के इस अभियान की जानकारी मीडिया में आकर देश को बताती थीं. सरकार ने उन्हें ये जिम्मेदारी देकर बड़ा मैसेज दिया था.

दरअसल, विपक्ष बीजेपी पर मुसलमानों की अपेक्षा करने का आरोप लगाता रहा है, लेकिन कर्नल सोफिया को आगे रखकर सरकार ने बता दिया कि जब राष्ट्रहित की बात हो तो उसके लिए हिंदू-मुस्लिम सब बराबर हैं. बीजेपी जहां देश और दुनिया को बड़ा मैसेज देने में कामयाब रही है, वहीं विपक्ष लगता है इससे चूक गया. ऐसा इस वजह से कहा जा रहा है कि क्योंकि संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस-सपा और TMC जैसे बड़े विपक्षी दलों ने किसी भी मुस्लिम चेहरे को सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर बोलने का मौका नहीं दिया.

कांग्रेस-सपा और टीएमसी के ये हैं मुस्लिम सांसद

कांग्रेस के पास इमरान मसूद और तारिक अनवर जैसे मुस्लिम नेता हैं. इनकी गिनती अच्छे वक्ताओं में होती है, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें अपनी लिस्ट में नहीं रखा. लोकसभा में कांग्रेस के कुल 7 मुस्लिम सांसद हैं. मसूद, तारिक के अलावा रकीबुल हुसैन, मोहम्मद जावेद, शफी परंबिल, ईशा खान चौधरी और मुहम्मद हम्दुल्लाह सईद हैं. वहीं, सपा के मुस्लिम सांसदों की बात करें तो इसमें इकरा हसन, मोहिबुल्लाह, जिया उर रहमान, अफजल अंसारी है. टीएमसी के पास खलीलुर रहमान, यूसुफ पठान, अबू ताहेर खान, एसके नूरुल इस्लाम और सजदा अहमद हैं. वहीं, राज्यसभा में कांग्रेस के पास सैयर नसीर हुसैन के रूप में मुस्लिम सांसद है. तो टीएमसी के पास मुस्लिम सांसद के रूप में मोहम्मद नदीमुल हक और समीरुल इस्लाम हैं. सपा के पासजावेद अली खान मुस्लिम सांसद हैं.

किस विपक्षी पार्टी से किस सांसद ने बोला?

कांग्रेस की ओर से लोकसभा में प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, गौरव गोगोई, दीपेंद्र हुड्डा, प्रणीति शिंदे, सप्तगिरी उलाका, बीजेंद्र उलाएम टैगोर, अमरिंदर राजा ने बोला. वहीं, सपा की ओर से अखिलेश यादव, रमाशंकर राजभर, छोटेलाल ने निचले सदन में भाषण दिया. टीएमसी की ओर से कल्याण बनर्जी, सयोनी घोष और डीएमके की ओर से ए राजा, कनिमोझी और एनसीपी (शरद पवार गुट) की ओर से सुप्रिया सुले ने सदन को संबोधित किया. ये तो वो सांसद हो गए जिन्होंने लोकसभा में अपनी बात रखी.

राज्यसभा की बात करें तो कांग्रेस की ओर से पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम, अखिलेश प्रसाद और शक्ति सिंह गोहिल वक्ताओं की लिस्ट में रहे. वहीं, टीएमसी की ओर से सगारिका घोष ने चर्चा में हिस्सा लिया.

संसद के मानसून सत्र की शुरुआत 21 जुलाई से हुई. 28 जुलाई से सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू हुई. ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान विपक्ष ने सरकार से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने के दावों का मुद्दा उठाया. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पीएम मोदी को सीधी चुनौती दी. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी में दम है तो वो बताएं कि सीजफायर पर ट्रंप झूठ बोल रहे हैं.

इन मुस्लिम सांसदों ने क्या बोला?

AIMIM सांसद असदु्द्दीन ओवैसी ने ऑपरेशन सिंदूर पर कहा, जिस देश के साथ हमारे स्टेटिक रिलेशनशिप हैं, उसे अपना दोस्त कहते हैं, उस देश का राष्ट्रपति उस शख्स को अपने साथ खाना खिलाता है, जिसके भाषण से हमारे लोग मारे गए थे तो क्या आपकी विदेश नीति कामयाब हुई, आप देख लीजिए.

उन्होंने कहा, हम अपने मुल्क के मुकद्दर का फैसला करेंगे. एक गोरा व्हाइट हाउस में बैठकर भारत के सीजफायर का ऐलान करेगा. ओवैसी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी की एक अहम वजह ये थी कि मुल्क में एकता पैदा हो गई थी. एक यूफोरिया पैदा हो गया था. मगर अफसोस कि हुकूमत ने उसका फायदा नहीं उठाया. साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की फौज, पाकिस्तान की आईएसआई, पाकिस्तान का डीप स्टेट का मकसद है कि भारत को हमेशा कमजोर किया जाए. हमको इन ताकतों को कमजोर करना है तो देश में एकता को बरकरार रखना होगा.

ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चर्चा के दौरान श्रीनगर से सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में नागरिकों के साथ हो रहे व्यवहार पर चिंता व्यक्त कीरूहुल्लाह ने बताया कि पहलगाम हमले की पूरे जम्मू-कश्मीर में व्यापक रूप से निंदा की गई. उन्होंने कहा कि घाटी के लोगों ने जानमाल के नुकसान पर शोक व्यक्त किया, इस आतंकवादी और जघन्य कृत्य के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए और पीड़ितों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए दुकानें और व्यवसाय बंद रखेउन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कश्मीरी लोग शोक संतप्त परिवारों के दुःख में शामिल हैं और आतंकवाद के प्रति सामूहिक अस्वीकृति का प्रदर्शन करते हैं.

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