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बच्चों का दोस्त बनने के लिए पेरेंट्स अपनाएं ये 7 तरीके, रिश्ता बना रहेगा मजबूत

माता-पिता बच्चों को जन्म देने के साथ ही उनका सही मार्गदर्शन करते हैं. बच्चे उन्हीं से बहुत कुछ सीखते हैं. लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ने लगती है, तब बच्चे अपने पेरेंट्स से बहुत से बाते छुपाने लगती हैं और उनकी बीच एक दूरी आने लगती है. लेकिन पेरेंट्स को अपने बच्चे साथ दोस्तों की तरह रहना चाहिए, जिससे बच्चे उन्हें अपनी सारी बातें बताएं और उनकी सलाह लें.

बच्चों के साथ दोस्तों की तरह रहना जरूरी है. क्योंकि जब वह आपके अपनी बातें शेयर करेंगे, तो आपको उनके बारे में पता होगा कि वह क्या कर रहे हैं और किसे साथ घूमने जा रहे हैं. यह बच्चे की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है. कई बार बच्चे पेरेंट्स की डाट के डर से घर पर सच नहीं बताते या झूठ बोल देते हैं, जिसका असर उनकी लाइफ पर बुरा भी पड़ सकता है. ऐसे में आप अपने बच्चे के साथ दोस्तों की तरह रह सकते हैं, जिसमें यह टिप्स आपकी मदद करेंगे.

बच्चे की भावनाओं को समझें

ज्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चे को गुस्सा करना या फिर किसी काम को करने का ऑर्डर देते हैं. लेकिन इसकी बजाय आप उनकी बात को सुनें और भावनाओं को समझें. अगर बच्चे के मार्क्स पेपर में कम आए हैं तो उन्हें डांटने की बजाय इसके पीछे का कारण जानने का प्रयास करें. जब बच्चों को लगता है कि आप उन्हें किसी बात पर डांटने की जगह पर उनकी बात को समझेंगे, तब वह अपनी हर बात आपको आसानी से समझाएं पाएंगे.

बच्चों के साथ समय बिताएं

आजकल पेरेंट्स अपने ऑफिस के काम में बहुत बिजी है. ऐसे में सुबह वह ऑफिस जाकर शाम में घर लौटते हैं. ऐसे में उन्हें बच्चों के साथ समय बिताने के लिए ज्यादा टाइम नहीं मिलता है. लेकिन उनके साथ समय बिताना बहुत जरूरी है. उससे उन्हें यह एहसासा रहेगा कि आप उनके साथ समय बिताना पसंद करते हैं. बच्चों की पसंदीदा एक्टिविटीज करें जैसे कि उनके साथ गेम्स खेलें, मूवी देखने का प्लान बनाएं या फिर शॉपिंग पर लेकर जाएं.

उनकी राय को महत्व दें

किसी भी बात को लेकर बच्चों की अपनी अलग राय हो सकती है. ऐसे में बच्चों से जुड़ा कोई निर्णय लेने से पहले उनकी बात सुनें और उनकी राय को महत्व दें. जैसे कि स्कूल में सब्जेक्ट सेलेक्ट करते समय आप बच्चे से इसके बारे में विचार करें. इससे वह आत्मनिर्भर बनते हैं और फैसले लेने की क्षमता में भी विकास होता है.

सजा की जगह समझाएं

गलतियां किसी से भी हो सकती है. लेकिन बच्चों के गलती करने पर पेरेंट्स उन्हें पहले डांटते हैं. लेकिन इससे बच्चे का कॉन्फिडेंस कम हो सकता है और आगे चलत अगर उनसे बड़ी गलती होती है, तो वह उसके बारे में पेरेंट्स को नहीं बताएंगे. इसलिए अगर बच्चे गलती करें, तो उन्हें पहले समझाएं कि गलती क्या थी और उससे क्या सीख मिलती है. इससे उन्हें या किसी को क्या नुकसान हो सकता था.

भरोसा जताएं

बच्चों की बातों को सुनें और उन्हें बताएं कि आप उन पर विश्वास करते हैं. इससे वह आपकी उम्मीदें को पूरा करने की कोशिश करें और आपसे झूठ नहीं बोलेंगे. अगर वह आपको किसी बात या घटना के बारे में बतातें तो उनकी बातों को अनसुनी न करें.

उनके दोस्तों और होबिस के बारे में जानें

बच्चे के साथ अगर दोस्तों की तरह रहना है, तो उनके दोस्तों और होबिस के बारे में भी जानने का प्रयास करें. उनके दोस्तों के बारे में जानें, आपके बच्चो की होबिस क्या है इसके बारे में उनके बात करें. जैसे कि पसंदीदा म्यूजिक, गेम्स और सोशल मीडिया में रुचि लें. इससे जनरेशन गेप की कमी को पूरा किया जा सकता है.

बच्चों को घुमाने लेकर जाएं

बच्चों को वीकेंड पर घूमने लेकर जाएं. इससे उन्हें दूसरी जगहों को एक्सप्लोर करने का मौका तो मिलेगा ही, साथ ही वह आपके साथ ज्यादा समय बिता पाएगा और उन्हें अच्छा महसूस होगा.

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