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कर्नाटक के जंगलों में अब नहीं चर पाएंगे मवेशी, पर्यावरण मंत्री ने क्यों लगाया बैन?

कर्नाटक के वन एवं पर्यावरण मंत्री ईश्वर खंड्रे ने जंगल क्षेत्रों में मवेशियों को चराने पर प्रतिबंध लगाने के लिए निर्देश दिए हैं. इस संबंध में उन्होंने विभाग के मुख्य सचिव और प्रधान मुख्य वन संरक्षक को निर्देश दिए हैं. दरअसल पर्यावरणविदों का मानना है कि वन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मवेशियों को चरने की अनुमति देने से, जंगल में अभी-अभी उगे छोटे पौधे पालतू पशुओं के भोजन के रूप में इस्तेमाल हो रहे हैं. इससे जंगल में नए पौधे नहीं उग पाते है, जिसकी वजह से वन क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि वन क्षेत्र में मवेशियों के चराने पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया है.

वन विभाग ने उस संबंध में निर्देश देते हुए कहा है कि जंगल में बड़ी संख्या में पालतू पशुओं के चरने से जंगल में शाकाहारी पशुओं के लिए चारे की भी कमी हो जाती है. इसके साथ ही मवेशी शहर से गांव और गांव से जंगल तक जाते है, जिसकी वजह से वन्यजीवों में संक्रमण का खतरा भी बना रहता है. इसलिए, वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों का मत है कि अभयारण्यों में बकरियों, भेड़ों और मवेशियों के चरने पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

क्या होगा फायदा?

अगर जंगल में मवेशियों के चराने पर रोक लगा दी गई तो वन्यजीव-मानव संघर्ष भी कम होगा, क्योकि कई मामलों में ऐसा हुआ है कि जब जंगल में मवेशी चरने जाते है तो उन पर हमला कर जंगली जानवर उन्हें मार देते है. इसके बाद गुस्साए लोग गुस्से मे आकर जंगली जानवरों को मार देते है. हाल ही में एक मादा बाघ और उसके चार शावकों को इसी वन्यजीव-मानव संर्घष में मौत के घाट उतार दिया गया था.

तमिलनाडु में पहले से लगा है प्रतिबंध

वन विभाग ने बताया कि इसके अलावा, तमिलनाडु के जंगलों में पालतू पशुओं की चराई के विरुद्ध मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के बाद, पड़ोसी राज्य से मवेशियों को हमारे राज्य में लाकर जंगलों में चराया जा रहा है. अतः, कर्नाटक राज्य के वनों के संरक्षण एवं विकास के संदर्भ में, राज्य के सभी वन क्षेत्रों में पालतू पशुओं की चराई को प्रतिबंधित एवं निषिद्ध करने के लिए नियमानुसार कदम उठाने का निर्देश दिया गया है.

मलनाड और तटीय इलाकों के लिए समस्या

वन विभाग के इस फैसले से मलनाड और तटीय इलाकों में एक और समस्या पैदा हो जाएगी. चूँकि इस क्षेत्र के ज़्यादातर लोग जंगल के किनारे रहते हैं, इसलिए वे अपने मवेशी, बकरियाँ और भेड़ें जंगल में चराते हैं. हालाँकि, अब वन विभाग ने इस पर रोक लगाने का फैसला किया है, जिससे विवाद पैदा होने की संभावना है.

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