ब्रेकिंग
वन्य प्राणी मौतों पर WWF की चुप्पी और जिम्मेदारियों पर सवाल एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट में महिला ने दिया बच्चे को जन्म, मस्कट से मुंबई आ रहा था विमान पाइप-नल पहनकर बिहार विधानसभा पहुंचे RJD विधायक, क्यों किया ऐसा विरोध-प्रदर्शन? कारगिल विजय दिवस के 26 साल… वीरगाथा से ऑपरेशन सिंदूर तक भारत का नया शौर्यपथ ऑपरेशन सिंदूर पर सोमवार को लोकसभा में राजनाथ करेंगे चर्चा की शुरुआत, 16 घंटे होगी बहस हजारों मील दूर के मुद्दों की जगह अपने देश पर ध्यान दें… गाजा नरसंहार मामले पर CPI-M को बॉम्बे हाईकोर... गजब! 90000 में खरीद कर लाया दुल्हन, 2 रही दूल्हे के साथ; तीसरे दिन जेवर-कैश लेकर फरार Bihar SIR: अब तक 99.86% वोटर किए गए कवर, 7.23 करोड़ मतदाताओं ने एसआईआर में जताया भरोसा: चुनाव आयोग लालू के परिवार में ‘गृहयुद्ध’ का आगाज! तेज प्रताप ने RJD और परिवार के लोगों को X पर किया अनफॉलो नेताओं की नमाज से राजनीति के केंद्र तक..दिल्ली की संसद वाली मस्जिद का इतिहास
हिमाचल प्रदेश

जम्मू-कश्मीर पुलिस कांस्टेबल के साथ टॉर्चर, SC का फैसला- 50 लाख रुपये का मुआवजा दें

जम्मू-कश्मीर में एक मामला सामने आया है. जम्मू-कश्मीर के पुलिस कांस्टेबल के साथ टॉर्चर हुआ. इसी के बाद हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद कांस्टेबल ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (21 जुलाई, 2025) को फैसला सुनाते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को कांस्टेबल को हिरासत में प्रताड़ित करने के मामले की जांच अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया है.

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने जम्मू-कश्मीर सरकार को निर्देश दिया कि वो खुर्शीद अहमद चौहान को उनके साथी राज्य कार्यकर्ताओं की हिरासत में “जानलेवा चोटों” के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा दे. कोर्ट ने केंद्रीय एजेंसी को जांच करने और अपराधियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया.

क्या है पूरा मामला?

कथित घटना 17 फरवरी, 2023 की है, जब चौहान को कुपवाड़ा के पुलिस उपाधीक्षक ने ड्रग्स पदार्थों से जुड़े एक मामले में कुछ दिन बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में उपस्थित होने के लिए बुलाया था. जब चौहान कार्यालय पहुंचे, तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया और प्रताड़ित किया गया. उन्हें बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाया गया.

कांस्टेबल चौहान की पत्नी ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मामला दर्ज करने की अपील की थी. लेकिन, उनकी शिकायत को अनसुना कर दिया गया. इस बीच, उनके पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई.

HC से नहीं मिली थी राहत

हाई कोर्ट में उनकी अपील विफल रही. हाईकोर्ट ने टॉर्चर की जांच का काम उसी पुलिस अधिकारी को सौंप दिया जिसने चौहान को कुपवाड़ा जाने के लिए कहा था. साथ ही हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.

SC ने स्वीकार की तीनों मांगें

इसी के चलते कांस्टेबल चौहान ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. उन्होंने उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कहा था जिन्होंने उन्हें प्रताड़ित किया था, साथ ही मामला सीबीआई को सौंपने और उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी.

इस मामले में फैसला सुनाने वाले जस्टिस मेहता ने उनकी तीनों मांगें स्वीकार कर लीं. कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश द्वारा उठाए गए इस तर्क को खारिज कर दिया कि कांस्टेबल चौहान को लगी चोटें ड्रग्स मामले में पूछताछ से बचने के लिए आत्महत्या की कोशिश के दौरान खुद लगी थीं.

Related Articles

Back to top button