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मध्यप्रदेश

1800 यात्रियों के वजन के बराबर रेत की बोरियां रखीं गईं, फिर लगाई गई ब्रेक, भोपाल में मेट्रो का कैसे हुआ ट्रायल?

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को अब मेट्रो सेवा की सौगात जल्द मिलने वाली है. मेट्रो कॉर्पोरेशन ने इसकी तैयारी तेज कर दी है. मेट्रो के ट्रैक और ब्रेकिंग सिस्टम का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है. टेस्टिंग के दौरान मेट्रो में यात्रियों का भार सिम्युलेट करने के लिए करीब 1800 यात्रियों के बराबर रेत से भरी बोरियों को बोगियों में रखा गया.

यह परीक्षण 9 जुलाई से 21 जुलाई के बीच, सुभाष नगर से एम्स तक की मुख्य लाइन पर किया गया. मेट्रो को 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया गया और इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम का मूल्यांकन किया गया. एक मेट्रो कोच में 250 यात्री खड़े होकर और 50 यात्री बैठकर यात्रा कर सकते हैं. परीक्षण के दौरान इससे दोगुने वजन को आधार बनाकर ब्रेकिंग सिस्टम का मूल्यांकन किया गया.

RDSO ने की तकनीकी जांच

इस दौरान RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन) की विशेषज्ञ टीम ने मेट्रो के ऑसिलेशन यानी झटकों की स्थिरता, राइड क्वालिटी और इमरजेंसी ब्रेकिंग डिस्टेंस (EBD) जैसे तकनीकी बिंदुओं का गहन परीक्षण किया. यह डेटा मेट्रो को कमर्शियल संचालन के लिए जरूरी सुरक्षा प्रमाणन और तकनीकी अनुमोदन दिलाने में अहम भूमिका निभाएगा.

परीक्षण का विश्लेषण करने के बाद, RDSO अगले 20 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा. इसके बाद कमिश्नर ऑफ मेट्रो रेल सेफ्टी (CMRS) की टीम भोपाल आएगी, जो अंतिम निरीक्षण करेगी. यदि सब कुछ ठीक पाया गया, तो अक्टूबर 2025 में भोपाल मेट्रो के प्रायोरिटी कॉरिडोर पर यात्रियों के लिए सेवा शुरू कर दी जाएगी.

पहला रूट AIIMS से करोंद तक

भोपाल मेट्रो का पहला रूट AIIMS से करोंद तक है, जिसकी कुल लंबाई 16.05 किलोमीटर है. इस परियोजना का काम वर्ष 2018 में शुरू हुआ था. इसमें से सुभाष नगर से AIIMS तक का 6.22 किमी लंबा हिस्सा प्रायोरिटी कॉरिडोर के रूप में तैयार किया गया है. इस हिस्से में सुभाष नगर, आरकेएमपी, अलकापुरी, डीआरएम और एम्स जैसे प्रमुख स्टेशन शामिल हैं.

मेट्रो ट्रैक के साथ-साथ दोनों स्टील ब्रिज की लोड टेस्टिंग भी पूरी की जा चुकी है. अब सिर्फ अंतिम स्वीकृति और निरीक्षण बाकी है. मेट्रो प्रबंधन का दावा है कि अक्टूबर तक भोपाल मेट्रो का सपना हकीकत बन जाएगा.

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