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इनकम टैक्स रिफंड 11 साल में 474% बढ़ा, आंकड़ा 4 लाख करोड़ रुपये के हुआ पार

इनकम टैक्स रिफंड में पिछले 11 सालों में शानदार 474% की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो टैक्स प्रशासन में सुधार और डिजिटल तकनीक के बढ़ते उपयोग का परिणाम है. वर्ष 2013-14 में इनकम टैक्स विभाग ने 83,008 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए थे, जो 2024-25 में बढ़कर 4.77 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गए हैं. इस दौरान रिफंड प्रक्रिया का समय भी 93 दिनों से घटकर मात्र 17 दिन रह गया है, जो 81% की कमी को दर्शाता है.

ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग, फेसलेस असेसमेंट, प्री-फिल्ड रिटर्न्स, ऑटोमेटेड रिफंड प्रोसेसिंग, रीयल-टाइम टीडीएस समायोजन और ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली जैसे कदमों ने रिफंड प्रक्रिया को तेज, सटीक और टैक्सपेयर्स के लिए सुविधाजनक बनाया है. इन सुधारों ने न केवल प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया है, बल्कि टैक्सपेयर्स के अनुभव को भी बेहतर किया है, जिससे करदाताओं का विश्वास प्रणाली पर बढ़ा है.

टैक्स कलेक्शन में भी हुई बढ़ोतरी

साथ ही, पिछले 11 वर्षों में सकल डायरेक्ट टैक्स संग्रह में भी 274% की बढ़ोतरी हुई है, जो 7.22 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 27.03 लाख करोड़ रुपये हो गया है. इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में 133% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो 2013 में 3.8 करोड़ से बढ़कर 2024 में 8.89 करोड़ हो गई है. यह वृद्धि टैक्सपेयर आधार के विस्तार और कर प्रणाली में बढ़ती भागीदारी को दर्शाती है.

वर्ष 2024-25 में ग्रॉस डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का 17.6% हिस्सा रिफंड के रूप में वापस किया गया, जो 2013-14 में 11.5% था. रिफंड अनुपात में यह वृद्धि टैक्स सिस्टम में बढ़ते विश्वास और मजबूत टीडीएस व एडवांस टैक्स प्रणाली का संकेत है. जैसे-जैसे टैक्सपेयर आधार बढ़ रहा है और डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है, रिफंड की राशि और आवृत्ति में भी निरंतर वृद्धि हो रही है, जो भारतीय टैक्स सिस्टम की एफिशिएंसी को दिखाता है.

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