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हिंदी-मराठी विवाद पर बोले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, बताया क्यों और कैसे शांत हुआ मामला?

महाराष्ट्र में भाषा से जुड़े विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. भाषा विवाद पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा की हम मुंबई आए हैं, यहां शांत है, किसी ने गड़बड़ कर दी होगी. हिंदी और मराठी के बीच चल रहा विवाद अब लगभग खत्म हो चुका है.

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा, “यह घटना कुछ दिन पहले की है. जब हम मुंबई पहुंचे, तो माहौल शांत नजर आया. अब वहां कोई बड़ा विवाद नहीं दिख रहा है. संभव है कि किसी ने जानबूझकर मामले को हवा दी हो, लेकिन मराठी और हिंदी के बीच का टकराव अब लगभग खत्म हो गया है. हिंसा की घटना के बाद पूरे देश ने इसे लेकर नाराज़गी जताई. इसका असर ये हुआ कि जो लोग इस मुद्दे को उकसा रहे थे, उन्होंने समझ लिया कि इससे उन्हें ही नुकसान हो रहा है. इसी वजह से अब माहौल शांत है और कोई खास तनाव नहीं बचा है.”

‘माहौल पूरी तरह से शांत हो गया’

उन्होंने आगे कहा, “यह जो कुछ हुआ, वह उचित नहीं था इसलिए यह चल नहीं पाया. कुछ लोगों ने इस मुद्दे को मराठी अस्मिता से जोड़ने की कोशिश की, लेकिन यह ज्यादा चल नहीं पाया. महाराष्ट्रवासियों ने साफ कहा कि हम मराठी भाषा से प्रेम करते हैं, पर हिंदी से हमें कोई आपत्ति नहीं है. सरकार ने भी स्पष्ट किया कि अगर किसी को लगे कि ये जबरन थोपी जा रही है, तो वे उसे वापस लेने को तैयार हैं. इसी वजह से अब माहौल पूरी तरह से शांत हो गया है.”

दरअसल, अप्रैल महीने में महाराष्ट्र सरकार ने एक निर्णय लिया था, जिसके तहत कक्षा 1 से 5 तक के सभी छात्रों के लिए हिंदी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया गया था. देवेंद्र फडणवीस सरकार के इस निर्णय का राज्य में तेज विरोध हुआ. विवाद बढ़ने पर फडणवीस ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि हिंदी अब तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य नहीं होगी. उन्होंने बताया कि छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में हिंदी लेने का विकल्प दिया जाएगा, लेकिन यह अनिवार्य नहीं.

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