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एडमिशन में घूस, लड़कियों से छेड़छाड़… कोलकाता गैंगरेप के आरोपी मनोजीत का कॉलेज में चलता था ‘दादागिरी’

कोलकाता के प्रतिष्ठित साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में एक फर्स्ट ईयर छात्रा के साथ हुए गैंगरेप मामले ने पूरे पश्चिम बंगाल को झकझोर कर रख दिया है. इस जघन्य वारदात के बाद न सिर्फ छात्रों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हुए हैं, बल्कि कॉलेज परिसर में चल रहे एडमिशन सिंडिकेट, थ्रेट कल्चर और छात्र राजनीति के काले सच भी उजागर हुए हैं. मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा सहित अब तक कुल चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें कॉलेज के दो छात्र, एक पूर्व छात्र और एक सुरक्षाकर्मी शामिल हैं.

सबसे गंभीर आरोप यह है कि घटना में शामिल मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद (टीएमसीपी) से जुड़ा हुआ है और कॉलेज में कथित तौर पर एडमिशन सिंडिकेट चलाता था.

कॉलेज में एडमिशन कराने के लिए लेता था 2 लाख

छात्राओं और छात्रों के एक वर्ग ने आरोप लगाया है कि कॉलेज में प्रवेश दिलाने के नाम पर 2 लाख रुपये तक की मांग की जाती थी. प्रवेश परीक्षा और काउंसलिंग प्रक्रिया में भी गड़बड़ी करवाई जाती थी ताकि मनचाहे उम्मीदवारों को सिफारिश के आधार पर दाखिला मिल सके.

छात्रों का दावा है कि आरोपी छात्र नेता कॉलेज परिसर में खुद को एक वरिष्ठ विधायक का करीबी बताता था और खुद को जेठुर लोग कहता था. बताया जा रहा है कि वह विधायक को जेठू (बड़े चाचा) कहकर बुलाता था और उनका नाम लेकर छात्रों पर दबाव बनाता था. सोशल मीडिया पर आरोपी के विधायक के साथ कई तस्वीरें भी सामने आई हैं.

कॉलेज में चलाता था ‘सिंडिकेट राज’

इस घटना के बाद राज्य भर के मेडिकल और लॉ कॉलेजों में व्याप्त धमकी संस्कृति और सिंडिकेट शासन पर भी सवाल उठने लगे हैं. विपक्षी पार्टी के छात्र संगठन एसएफआई (स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) के राज्य सचिव देबांजन डे ने आरोप लगाया कि टीएमसी ने 2011 से ही कॉलेज परिसरों में सिंडिकेट सिस्टम की नींव रखी थी. उनका दावा है कि विधायकों से लेकर सांसदों तक, सभी इस सिस्टम से लाभान्वित होते हैं और पैसों का बड़ा लेनदेन होता है.

देबांजन डे ने मांग की कि ऐसे अवैध छात्र संसदों को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाए और कॉलेज प्रशासन को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए. वहीं भाजपा नेता शंकुदेव पांडा ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा, हमने परीक्षा पास की, लेकिन फिर भी हमें पढ़ाई का अवसर नहीं मिलता. यह केवल एक लॉ कॉलेज की समस्या नहीं है, बल्कि राज्य के अधिकांश कॉलेजों की यही सच्चाई है.

आरोपी का रहा है आपराधिक इतिहास

मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा का अतीत भी विवादों से भरा हुआ है. मनोजीत पहले भी कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है और 2013 में एक घटना के बाद वह कुछ समय के लिए अंडरग्राउंड हो गया था. बाद में 2016 के आसपास वह फिर से कॉलेज परिसर में सक्रिय हो गया.

उसकी हरकतों की वजह से छात्रसंघ ने उसे कार्यक्रमों में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद वह कॉलेज परिसर में अपनी दबंगई जारी रखता रहा. उसने महिला छात्रों के साथ छेड़छाड़, वसूली और मारपीट जैसी घटनाओं में भी भाग लिया था. उसका प्रभाव इतना था कि पीड़ित छात्राएं शिकायत दर्ज कराने से डरती थीं.

टीएमसी विधायक से था कनेक्शन

इस मामले में जिस वरिष्ठ विधायक अशोक देब का नाम सामने आया है, उन्होंने सफाई दी कि छात्र उन्हें जेठू कहकर बुलाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह सभी से व्यक्तिगत रूप से जुड़े हैं. उन्होंने कहा, मेरा दरवाजा सभी के लिए खुला रहता है. लोग आते हैं, तस्वीरें खिंचवाते हैं. यह नेताओं के लिए आम बात है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं दोषियों की पैरवी करता हूं.

विधायक अशोक देब ने यह भी कहा कि जो भी इस जघन्य अपराध में शामिल पाया जाएगा, उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि वे सोमवार को कॉलेज की गवर्निंग बॉडी की बैठक में भाग लेंगे और कॉलेज प्रशासन से पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगेंगे.

टीएमसीपी के महासचिव अभिरूप चक्रवर्ती ने स्पष्ट किया कि पार्टी आरोपियों के साथ खड़ी नहीं है और ऐसे किसी भी दोषी छात्र का समर्थन नहीं किया जाएगा. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वामपंथी शासनकाल में भी कॉलेज परिसरों में इसी तरह की घटनाएं होती रही हैं, इसलिए इस मुद्दे को केवल वर्तमान सरकार के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.

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