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मध्यप्रदेश

2015 में भोपाल जेल में हुई थी कैदी मोहसिन की मौत, अब TI, जेलर, 5 पुलिसकर्मी सहित डॉक्टर पर चलेगा हत्या का केस; क्या है मामला?

2015 में भोपाल सेंट्रल जेल में विचाराधीन बंदी मोहसिन खान की संदिग्ध मौत के मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है. टीआई, जेलर, पांच पुलिसकर्मी और एक डॉक्टर पर अब हत्या, साक्ष्य मिटाने और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप में मुकदमा चलेगा. अपर सत्र न्यायाधीश प्रीति साल्वे ने इन सभी की रिवीजन याचिका को खारिज करते हुए उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई के आदेश दिए हैं. न्यायालय ने सभी आरोपियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी करते हुए उन्हें पेश होने के लिए कहा है.

मोहसिन खान की मृत्यु 2015 में भोपाल सेंट्रल जेल में हुई थी. जेल प्रशासन ने इसे एक सामान्य मृत्यु बताते हुए मोहसिन को मानसिक रोगी बताया और ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल रेफर किया था. परिजन की ओर से दर्ज की गई निजी शिकायत के आधार पर मामले की न्यायिक जांच हुई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह सामने आया कि मौत 72 घंटे पहले ही हो चुकी थी और मृतक के शरीर पर चोटों के कई निशान थे. विशेष रूप से हाथ, एड़ी और प्राइवेट पार्ट पर चोट के संकेत पाए गए.

आरोपियों के नाम और भूमिका

  • मनीष राज भदौरिया घटना के समय टीटी नगर थाने में थाना प्रभारी थे, वर्तमान में मिसरोद थाने में पदस्थ. आरोप है कि उन्होंने मोहसिन को लूट के मामले में फर्जी रूप से फंसाया और मारपीट की.
  • आलोक वाजपेयी उस समय भोपाल जेल में जेलर के पद पर थे, वर्तमान में इंदौर जेल में पदस्थ. आरोप है कि न्यायिक अभिरक्षा में मोहसिन को उपचार नहीं दिया गया और उसके साथ मारपीट की गई.
  • डॉ. आर.एन. साहू हमीदिया अस्पताल के मनोरोग विभाग में कार्यरत थे. आरोप है कि उन्होंने गलत रिपोर्ट देकर मोहसिन को मानसिक रोगी बताया और ग्वालियर रेफर किया.
  • डीएल यादव घटना के समय एएसआई थे, अब सेवानिवृत्त. इन पर भी मारपीट का आरोप है.
  • आरक्षक मुरली, चिंरोजीलाल, दिनेश खजूरिया, अहसान इन सभी उस समय क्राइम ब्रांच में पदस्थ थे. आरोप है कि ये मोहसिन को घर से उठाकर लाए और पूछताछ के दौरान मारपीट की.

मृतक मोहसिन के परिवार की ओर से पैरवी कर रहे वकील यावर खान के अनुसार, मामले में कुल 14 गवाहों की गवाही दर्ज की गई, जिनमें से 10 शासकीय अधिकारी हैं. इन अधिकारियों ने कोर्ट में यह स्वीकार किया कि मोहसिन की मृत्यु पुलिस की मारपीट से हुई. मोहसिन की मौत भोपाल जेल में ही हो गई थी, लेकिन प्रशासन ने सच्चाई छुपाने की कोशिश की. डॉक्टर साहू ने झूठी रिपोर्ट बनाकर मोहसिन को मानसिक रोगी बताया और ग्वालियर रेफर कर दिया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया.

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