ब्रेकिंग
जयपुर में बदमाश ने पर्स खींचा, सड़क पर गिरी महिला; सिर में चोट लगने से कोमा में गई काल भैरव मंदिर में गोविंदा की पत्नी सुनीता ने की पूजा, मच गया बवाल; लोग बोले- भेदभाव वाला दर्शन सास नहीं ‘सरहज’ के साथ भागा दामाद, शादी के एक महीने बाद ही पत्नी को छोड़ा; कहा- तुम्हारी भाभी ज्यादा... ‘मेरी मुर्गी का मर्डर हुआ’… महिला ने देवर और ननद पर लगाया आरोप, कहा- गला दबाकर मार डाला सिवनी में सांसद भारती पारधी ने पत्रकारों से की मुलाकात, जनहित के मुद्दों पर हुई चर्चा बटला हाउस इलाके में डीडीए के बुलडोजर एक्शन पर लगी रोक, दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को दी बड़ी ... सौरभ हत्याकांड: 1000 पन्नों की चार्जशीट और नीले ड्रम में लाश… मुस्कान-साहिल पर आरोप तय, कोर्ट में ट्... माता चिंतपूर्णी के दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच हैरान कर देने वाली घटना, देखते रह गए सब... पंजाब में लोगों के बजने लगे Phone, तहलका मचा देने वाली Bhabhi की हो रही Video वायरल 3 दिन बंद रहेंगी दुकानें, पहले ही खरीद लें जरूरी सामान
टेक्नोलॉजी

इलाहाबाद हाईकोर्ट का यूपी सरकार को निर्देश, ऑनलाइन गेमिंग-सट्टेबाजी के लिए बनाए समिति

यूपी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्चस्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया है जो इस बात की जांच करेगी कि क्या सट्टेबाजी और ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने की आवश्यकता है या नहीं? विनोद दिवाकर (जज) ने इस मामले में कहा कि जुआ अधिनियम 1867 केवल ताश के पत्ते जैसे खेल के नियमन (रेगुलेशन) तक ही केवल सीमित है और यह ब्रिटिश शासन के जमाने का कानून है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि यूपी सरकार के आर्थिक सलाहकार केवी राजू की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाना चाहिए जिसमें प्रमुख सचिव (राज्य कर) को सदस्य के रूप में शामिल करना चाहिए. इसके अलावा विशेषज्ञ भी इस समिति के सदस्य हो सकते हैं. अदालत ने सार्वजनिक जुआ अधिनियम के तहत आरोपी इमरान खान और एक अन्य आरोपी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है.

ब्रिटिश जमाने का कानून

इन आरोपियों को लेकर पुलिस का कहना है कि ये आरोपी घर से ऑनलाइन सट्टेबाजी का रैकेट चलाते हुए करोड़ों रुपये की कमाई कर रहे थे. हाईकोर्ट ने सार्वजनिक जुआ अधिनियम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ये कानून डिजिटल युग से पहले का कानून है जिसमें सर्वर या सीमा पार लेनदेन और डिजिटल प्लेटफॉर्म का जिक्र नहीं है और इसका प्रवर्तन भौतिक जुआ घर तक सीमित है और वर्चुअल गेमिंग इस कानून के दायरे में नहीं आता.

अदालत ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म मनोवैज्ञानिक रूप से चालाकीपूर्ण रिवार्ड प्रणाली और अधिसूचना का उपयोग करते हैं जिससे लोगों में गेमिंग की लत लग जाती है.

कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन शर्त लगाने वाले कई गेम भारत से बाहर परिचालित होते हैं और लेनदेन का पूरा प्रोसेस अन्य चैनलों के जरिए होता है जिससे कानून प्रवर्तन की चुनौतियां पैदा होती हैं, यही नहीं इस वजह से वित्तीय धोखाधड़ी का भी खतरा पैदा होता है.

Related Articles

Back to top button