एक ‘खास वर्ग’ को हथियारों का लाइसेंस देने वाले असम सरकार के फैसले का क्यों हो रहा विरोध?

गौरव गोगोई असम प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष हैं. लोकसभा में वे राहुल गांधी के साथ उप नेता, प्रतिपक्ष की भूमिका में भी हैं और भारतीय जनता पार्टी पर लगातार हमलावर रहते हैं. असम की राजनीति में उनका मुकाबला सूबे के सीएम – मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा से है. गोगोई ने हिमंता सरकार के एक फैसले पर सख्त ऐतराज जताया है. गोगोई ने सोशल मीडिया पोस्ट करते हुए लिखा कि वे उस फैसले की निंदा करते हैं जिसके तहत राज्य के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को हथियार देने का निर्णय लिया गया है. असम के लोगों को नौकरी, सस्ता स्वास्थ्य ढांचा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिया जाना चाहिए, न की बंदूक. असम सरकार के अपने फैसले पर क्या पक्ष है और गोगोई की दलीलें क्या हैं, आइये जानें.
गौरव गोगोई ने कहा है कि – पुलिस औऱ सीमावर्ती सुरक्षाबलों को मजबूत करने की बजाय सरकार की मंशा भाजपा-आरएसएस से सहानुभूति रखने वालों और स्थानीय आपराधिक तत्त्वों को हथियार देने की है. इससे प्रदेश में गैंगवार की स्थिति बनेगी. साथ ही, लोग निजी दुश्मनी के आधार पर अपराध को अंजाम देंगे. स्थानीय व्यवसायी और व्यापारियों को प्रताड़ित किया जाएगा. ये प्रशासन नहीं है. बल्कि ये एक तरह का ऐसा खतरनाक फैसला है जो राज्य को न सिर्फ जंगलराज बल्कि कानून की गैरमौजूदगी वाली स्थिति में ले जाएगा. ये फैसला लोगों की चिंताओं को नहीं बल्कि चुनावी चिंताओं को दूर करने के लिए लिया गया है. मुख्यमंत्री को इसे तुरंत वापस लेना चाहिए और लोगों में भरोसा कायम करने वाला् नेतृत्व दिखलाना चाहिए.