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महाराष्ट्र

नाराजगी दूर करना या OBC समीकरण को साधना… भुजबल को मंत्री बनाने के लिए पीछे अजित पवार का प्लान?

महाराष्ट्र कैबिनेट में फिर से एक बार एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल की वापसी हो गई है. भुजबल को राजभवन में मंगलवार को गवर्नर सीपी राधाकृष्णन ने मंत्री पद की शपथ दिलाई है. भुजबल नासिक जिले के येवला से विधायक हैं और महाराष्ट्र के बड़े ओबीसी चेहरा माने जाते हैं. महाराष्ट्र में पांच महीने पहले फडणवीस की अगुवाई में महायुति की सरकार बनी तो भुजबल को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया था, जिसके बाद से नाराज चल रहे थे. ऐसे में अब मंत्रिमंडल में उन्हें लेने के पीछे नाराजगी को दूर करना या फिर ओबीसी समीकरण का साधने का दांव है?

देवेंद्र फडणवीस के अगुवाई में जब सरकार बनी तो 33 कैबिनेट और 6 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली थी. सीएम और दो डिप्टी सीएम समेत यह संख्या 42 हो गई थी. कैबिनेट में कुल 43 मंत्री शपथ ले सकते हैं. इस तरह एक सीट खाली रखी गई है. फडणवीस सरकार में 19 बीजेपी, 11 शिवसेना और 9 एनसीपी कोटे से मंत्री शामिल किए गए थे. ऐसे में धनंजय मुंडे के इस्तीफे से एनसीपी कोटे का एक मंत्री पद खाली हो गया था, जिसे छगन भुजबल के जरिए भरने की कवायद की है.

मुंडे की जगह भुजबल बनेंगे मंत्री

छगन भुजबल महाराष्ट्र कैबिनेट में एनसीपी के दिग्गज नेता धनंजय मुंडे की जगह लेंगे. धनंजय मुंडे ने मार्च में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, मुंडे के सहयोगी वाल्मिक कराड का नाम बीड सरपंच देशमुख हत्या मामले में सामने आने के बाद से इस्तीफा देने का दबाव था. इस तरह मुंडे की इस्तीफे से खाली हुए मंत्री पद पर छगन भुजबल की ताजपोशी हो गई है.

महाराष्ट्र की राजनीति में छगन भुजबल ओबीसी समुदाय के प्रमुख चेहरा माने जाते हैं. राज्य के उपमुख्यमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक रह चुके हैं. शरद पवार का साथ छोड़कर अजित पवार के साथ खड़े हैं. दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा की गई मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें जगह नहीं मिलने पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई थी, लेकिन अब पांच महीने के बाद अब उनकी कैबिनेट में वापसी धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद हो रही है.

भुजबल की नाराजगी दूर करने का दांव

मंत्री नहीं बनाए जाने पर छगन भुजबल ने दावा किया था कि नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के आरक्षण की मांग करने वाले मनोज जरांगे का विरोध करने के कारण उन्हें कैबिनेट से बाहर रखा गया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है. मैं पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं कि मुझे मंत्री पद के लिए किसने अस्वीकार किया. मंत्री पद आते-जाते रहते हैं, लेकिन मुझे खत्म नहीं किया जा सकता. इसके लिए उन्होंने अजित पवार से अपनी नाराजगी जाहिर की थी.

ओबीसी समीकरण साधने की स्ट्रैटेजी

छगन भुजबल की नाराजगी से एनसीपी के ओबीसी वोटों का समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा था. धनंजय मुंडे डिप्टी सीएम अजित पवार के कोटे से मंत्री थे और पार्टी के ओबीसी चेहरा माने जाते हैं. मराठवाड़ा इलाके से आते हैं. सीएम फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने से एनसीपी के दिग्गज नेता छगन भुजबल पहले से ही नाराज चल रहे थे. मुंडे की तरह भुजबल भी ओबीसी समाज के बड़े नेता माने जाते हैं. 2023 में शरद पवार का साथ छोड़कर अजित पवार के साथ खड़े रहने वाले नेताओं में सबसे आगे थे.

शिंदे के अगुवाई वाली सरकार में छगन भुजबल पावरफुल मंत्री थे, लेकिन फडणवीस सरकार में उन्हें मंत्री पद नहीं मिला. इसके बाद से भुजबल ने मोर्चा खोल रखा था और ओबीसी का मुद्दा बना रहे थे. ऐसे में एनसीपी प्रमुख अजित पवार ओबीसी की जगह ओबीसी समाज से मंत्री बनाने का फैसला किया है ताकि महाराष्ट्र के सियासी समीकरण का साधे रखने की स्ट्रैटेजी चली है.

महाराष्ट्र का जातीय समीकरण

महाराष्ट्र के जातीय समीकरण में सबसे बड़ी आबादी मराठा समुदाय की है, जिसके चलते ही सूबे की सत्ता पर मराठा समुदाय का लंबे समय तक कब्जा रहा है. सूबे में करीब 28 फीसदी मराठा आबादी है, तो दलित 12 फीसदी और मुस्लिम 12 फीसदी है. महाराष्ट्र में 8 फीसदी आदिवासी और ओबीसी की आबादी 38 फीसदी के बीच है और अलग-अलग जातियों में बंटी हुई है. ब्राह्मण और अन्य समुदाय की आबादी 8 फीसदी है. ओबीसी में मुस्लिम ओबीसी जातियां भी शामिल हैं.

ओबीसी में तमाम जातियां है, जिसमें तेली, माली, लोहार, कुर्मी, धनगर, घुमंतु, कुनबी और बंजारा जैसी 356 जातियां शामिल हैं. इसी तरह दलित जातियां महार और गैर-महार के बीच बंटी हुई है. महार की जातियां नवबौद्ध धर्म के तहत आती हैं, तो गैर-महार जातियां मंग, मातंग, चंभर नवबौद्ध अपना रखा है. प्रदेश की सियासत लंबे समय से मराठा बनाम गैर-मराठा के सियासी समीकरण की रही है.

महाराष्ट्र में गैर-मराठा जातियों में मुख्य रूप से ब्राह्मण, दलित, ओबीसी और मुसलमान जातियां आती हैं. ओबीसी के जरिए बीजेपी महाराष्ट्र में अपने सियासी जड़े जमाने में लगी है, लेकिन अजित पवार भी ओबीसी वोटों पर किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. ओबीसी जातियां कुनबी, माली, धनगर, बंजारा, लोहार, तेली, घुमंतू, मुन्नार कापू, तेलंगी, पेंटारेड्डी और विभिन्न गुर्जर जातियां है. इस तर ओबीसी में करीब 356 जातियां है. अजित पवार के पास ओबीसी के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर छगन भुजबल और धनंजय मुंडे थे. मुंडे की कैबिनेट से छुट्टी होने के बाद अब उनकी जगह भुजबल को जगह देकर सियासी बैलेंस बनाने की कवायद में अजित पवार हैं.

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