सिवनी
“देश की बेटी का अपमान: बदजुबान मंत्री पर हाईकोर्ट की फटकार, बीजेपी की चुप्पी सवालों के घेरे में”

राष्ट्र चंडिका न्यूज़,(अखिलेश दुबे) देश की गौरवशाली बेटी और सेना की शान कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर चर्चा में आए मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री कुंवर विजय शाह को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। मंत्री के बयान को लेकर पूरे देश में गुस्सा है, वहीं सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक इस्तीफे की मांग जोरों पर है।
कर्नल सोफिया कुरैशी पर मंत्री विजय शाह ने जो टिप्पणी की, उसे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने “गटर छाप भाषा” करार देते हुए स्वतः संज्ञान में लिया है। कोर्ट ने इसे देश की एकता, अखंडता और सामाजिक समरसता के खिलाफ बताते हुए एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
‘माफी’ या ‘मज़ाक’?

बीजेपी की असहज चुप्पी – भाजपा नेतृत्व की खामोशी ने और भी सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर पार्टी “बेटी बचाओ” और “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे अभियानों से महिला सशक्तिकरण का संदेश दे रही थी, वहीं दूसरी ओर अपने ही मंत्री के इस शर्मनाक बयान पर कार्रवाई से बचती नजर आ रही है। पार्टी की चुप्पी से यह संदेश जा रहा है कि “वोट” और “जातीय समीकरण” महिला गरिमा से भी ऊपर हैं।
जनजातीय राजनीति या न्याय का प्रश्न? – कहा जा रहा है कि कुंवर विजय शाह प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति “राजगोंड” समुदाय से आते हैं और इसी जनाधार के चलते पार्टी उन्हें ढोती जा रही है। लेकिन सवाल उठता है—क्या जनाधार के नाम पर एक मंत्री को महिलाओं के खिलाफ घिनौनी भाषा बोलने का लाइसेंस मिल जाना चाहिए?
हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी – हाईकोर्ट ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए कहा, “यह सिर्फ व्यक्तिगत मानहानि नहीं, बल्कि राष्ट्र के संस्थानों पर चोट है।” जस्टिस अतुल श्रीधरन ने महाधिवक्ता से कहा, “4 घंटे में एफआईआर दर्ज करें, वरना अवमानना की कार्रवाई होगी।”
विवादों का पुराना इतिहास – यह पहली बार नहीं है जब विजय शाह विवादों में आए हैं। चाहे विद्या बालन की शूटिंग रोकना, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में चिकन पार्टी करना, या सीएम की पत्नी पर टिप्पणी करना हो—हर बार पार्टी ने या तो आंखें मूंदी हैं या खानापूर्ति की है।
आखिर इस्तीफा क्यों नहीं? – जब 11 साल पहले सीएम की पत्नी के मुद्दे पर मंत्री पद छीन लिया गया था, तो अब देश की बेटी के अपमान पर खामोशी क्यों? क्या राजनीतिक मजबूरियाँ नैतिकता से बड़ी हो गई हैं? क्या सत्ता के लिए महिला सम्मान को भी कुर्बान किया जा सकता है?
मंत्री विजय शाह का बयान न सिर्फ कर्नल सोफिया कुरैशी बल्कि हर उस महिला का अपमान है, जो देश और समाज के लिए अपना योगदान देती है। यह समय है जब राजनीतिक दलों को स्पष्ट संदेश देना होगा कि महिला गरिमा के आगे कोई भी “वोट बैंक” बड़ा नहीं है। अब देखना यह है कि क्या सरकार अपने मंत्री पर कार्रवाई कर देश की बेटियों को सम्मान देगी, या फिर चुप रहकर इस बेशर्मी को मौन समर्थन देती रहेगी।