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महाराष्ट्र: फर्जी सर्टिफिकेट से शिक्षकों की नियुक्ति, व्यापम से बड़ा घोटाला… अनिल देशमुख ने की न्यायिक जांच की मांग

महाराष्ट्र में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर अब तक कई गंभीर आरोप सामने आ चुके हैं. इस मामले में आरोप है कि राज्य सरकार को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. पूर्व गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख ने इस घोटाले की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक जांच की मांग की है.

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यभर में शिक्षक भर्ती के नाम पर वर्षों से चल रही धांधली अब खुलकर सामने आ रही है. जानकारी के मुताबिक, हजारों फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर शिक्षकों की नियुक्तियां की गई हैं. हालांकि, नागपुर जिले में कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है, लेकिन घोटाले की जड़ें पूरे राज्य में फैली हुई हैं.

अनिल देशमुख ने इस घोटाले की तुलना व्यापम घोटाले से करते हुए कहा कि यह उससे भी बड़ा और संगठित आर्थिक अपराध है. उन्होंने आरोप लगाया कि 2012 में शिक्षक भर्ती पर रोक लगाई गई थी, फिर भी 2019 से 2022 के बीच भारी संख्या में नियुक्तियां की गईं.

उन्होंने कहा कि कुछ नियुक्तियां तो 2012 से पहले की तारीखों में दर्शाई गईं. उन्होंने कहा कि कई मामलों में एक ही व्यक्ति को दो बार नियुक्ति दी गई और कुछ ऐसे व्यक्तियों को भी नौकरी दे दी गई, जिनके पास पात्रता नहीं थी.

न्यायिक जांच की मांग

देशमुख ने राज्य सरकार से स्वतंत्र न्यायिक जांच समिति गठित करने की मांग की है, जिसमें सेवानिवृत्त IAS अधिकारी, वरिष्ठ IPS अधिकारी और शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हों, ताकि यह घोटाला पूरी तरह से उजागर हो सके.

पूर्व गृह मंत्री ने नागपुर जिले के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की फर्जी भर्ती की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच समिति गठित करने की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि हजारों शिक्षकों ने फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए नौकरी प्राप्त की है.

एनसीपी के विलय की खबरों को किया खारिज

इस बीच, शरद पवार और अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुटों के बीच संभावित विलय की अटकलों को लेकर अनिल देशमुख ने कहा कि एनसीपी (शरद पवार) गुट में इस बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है. उन्होंने कहा, “विलय की अफवाहें सिर्फ मीडिया में हैं। एनसीपी (शरद पवार) खेमे में ऐसी कोई बैठक या चर्चा नहीं हुई है.”

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