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ओवैसी को BJP की B-टीम बताने में जुटी RJD, बिहार में मुस्लिमों को साधने में जुटे लालू-तेजस्वी?

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अलग ही तेवर में नजर आ रहे हैं. ओवैसी अपनी मुस्लिम परस्त वाली छवि के साथ-साथ नया राष्ट्रवादी चेहरा बनकर उभरे हैं. मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में किस्मत आजमाने वाले ओवैसी अब बिहार की उन सीटों पर अपना फोकस कर रहे हैं, जहां पर हिंदू वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. इस तरह सीमांचल के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि सीमांचल के बाहर भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने की प्लानिंग की है, जिससे आरजेडी की सियासी टेंशन बढ़ गई है.

असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी शुरू कर दिया है. इस बार AIMIM ने बिहार में कम से कम 50 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है और 25 सीटें जीतने का टारगेट उन्होंने सेट कर रखा है. ओवैसी की सियासी सक्रियता को देखते हुए आरजेडी अलर्ट हो गई है, क्योंकि उसे अपने मुस्लिम वोटबैंक में सेंधमारी का खतरा नजर आ रहा है. पार्टी ने ओवैसी को बीजेपी की बी-टीम बताकर मुस्लिम समुदाय के बीच उनके सियासी प्रभाव को खत्म करने की स्ट्रैटेजी पर काम शुरू कर दिया है.

ओवैसी को BJP की B-टीम बता रही RJD

बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच ओवैसी ने अपना फोकस बिहार पर केंद्रित कर रखा है. ऐसे में ओवैसी के खिलाफ आरजेडी ने उनके करीबी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहम्मद अली अशरफ फातमी को उतार दिया है. कटियार में मीडिया से बात करते हुए फातमी ने कहा कि ओवैसी अब पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं. उनकी सियासी गतिविधियां बीजेपी को फायदा पहुंचाने के मकसद से संचालित होती रही हैं. साथ ही कहा कि ओवैसी और बीजेपी के बीच एक तरह की ‘नूरा कुश्ती’ चल रही है, जिसमें दोनों एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने की है.

अली अशरफ फातमी ने दावा किया कि एक समय उन्होंने खुद ओवैसी का समर्थन किया था, लेकिन बाद में खुद को ठगा हुआ महसूस किया. उन्होंने कहा कि ओवैसी की योजना बिहार में बीजेपी की सरकार बनवाने की है. ओवैसी बिहार में बीजेपी की बी-टीम की तरह से काम कर रहे हैं. साथ ही फातमी ने कहा कि बिहार में आज समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और जनहित की राजनीति को आगे बढ़ाने वाला एकमात्र नेता तेजस्वी यादव ही हैं. उन्होंने उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त चेहरा बताते हुए कहा कि राज्य में जनता के विश्वास का केंद्र अब सिर्फ तेजस्वी हैं.

असदुद्दीन ओवैसी का मिशन बिहार

ओवैसी वक्फ संशोधन कानून के विरोध के बहाने मुस्लिमों को पहले से ही सियासी संदेश देते रहे हैं और पहलगाम हमले के बाद हिंदू समाज के बीच भी अपनी छवि को मजबूत किया है. उन्होंने पहलगाम अटैक के बाद न केवल पाकिस्तान की जमकर भर्त्सना की, बल्कि भारत सरकार और सैन्य बल के समर्थन में कसीदे भी गढ़े. यही नहीं ऑपरेशन सिंदूर को लेकर उन्होंने कहा कि ‘रक्षा सेनाओं की ओर से पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर किए गए लक्षित हमलों का स्वागत करता हूं. पाकिस्तान डीप स्टेट को ऐसी सख्त सीख दी जानी चाहिए कि फिर कभी दूसरा पहलगाम न हो.

माना जाता है कि ओवैसी इस बात को समझ चुके हैं कि देश में या फिर बिहार की राजनीति में केवल मुस्लिम वोट की बदौलत बड़ी सफलता नहीं मिल सकती है, जिसके चलते अपना सियासी स्टैंड बदल दिया है. यही नहीं ओवैसी ने इस बार बिहार की 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है, जिसके चलते ही वो अपना चेहरा जो मुस्लिम हितों को साधते दिखता है, उसे राष्ट्रवादी बनाने की कोशिश की है. इसके अलावा उन्होंने इस बार बिहार में मुस्लिमों के साथ हिंदू समाज से प्रत्याशी भी उतारने की स्ट्रैटेजी बनाई है, जिसकी शुरुआत मोतिहारी से कर दी है.

बिहार में ओवैसी ने खोले अपने पत्ते

ओवैसी ने बिहार के किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, पूर्वी चंपारण सहित अन्य मुस्लिम बाहुल्य जिले में अपने प्रत्याशियों को उतारने को लेकर रणनीति बनाना शुरू कर दिया गया है. AIMIM ने किशनगंज जिला के बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज और कोचाधामन सीट, अररिया जिला के जोकी, नरपतगंज, रानीगंज, सिकटी, अररिया और फारबिसगंज सीट, पूर्णिया जिला के अमौर बायसी, कसबा, धमदाहा, बनमनखी, पूर्णिया सदर और रूपौली, कटिहार जिला में बलरामपुर, कटिहार, कदवा, प्राणपुर, मनिहारी, बरारी और कोढ़ा सहित पूर्वी चंपारण के ढाका और अन्य मुस्लिम इलाके में अपने उम्मीद उतारने की तैयारी की है.

AIMIM ने बहादुरगंज से कांग्रेस के पूर्व विधायक तौसीफ आलम, पूर्वी चंपारण के ढाका से राणा रणजीत सिंह के प्रत्याशी बनाने का ऐलान कर दिया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और अमौर के विधायक अख्तरूल ईमान के साथ पूर्व विधायक तौसीफ आलम, पूर्व जिला पार्षद अध्यक्ष फैयाज आलम के आने से पार्टी में नया जोश दिख रहा. ऐसे में पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम को भी साधने की कवायद की जा रही है. बिहार के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में 2 दर्जन से अधिक सीटों पर जीत का दावा कर ओवैसी ने निश्चित रूप से महागठबंधन के नेताओं की चिंता बढ़ा दी है.

ओवैसी की मंसूबों पर पानी फेरने का प्लान

असदुद्दीन ओवैसी ने जिस तरह वक्फ कानून के बहाने मुस्लिम वोटर को गोलबंद करने में जुटे हैं और बिहार में अपनी सक्रियता तेज कर दी है, उसके चलते मुस्लिम वोटों को लेकर आरजेडी भी सतर्क हो गई है. ओवैसी की सियासी छवि को मुस्लिमों के बीच संदेह में घेरे में खड़ा करने के लिए आरजेडी ने अपने मुस्लिम चेहरे अली अशरफ फातमी को पूरी तरह से उतार दिया है. फातमी ने ओवैसी को बीजेपी की B-टीम होने का आरोप लगाना शुरू कर दिया है.

आरजेडी ये भी बताने में जुट गई है कि कैसे आरजेडी मुस्लिमों की सबसे बड़ी हितैषी है और ओवैसी बिहार में बीजेपी की सरकार को बनवाने का काम कर रहे हैं. मुसलमानों के बीच ओवैसी की छवि को बीजेपी के मददगार के तौर पर स्थापित करने में आरजेडी अगर सफल हो जाती है तो AIMIM की राह मुश्किल हो जाएगी.

साल 2020 में सीमांचल के इलाके की मुस्लिम बहुल 5 सीटें AIMIM जीतने में सफल रही थी, जिसमें से 4 विधायकों ने बाद में आरजेडी का दामन थाम लिया था. इस बार ओवैसी 50 सीटों पर चुनाव लड़ने और 25 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. ऐसे में ओवैसी की सियासी मंसूबों पर पानी फेरने की रणनीति पर आरजेडी ने काम शुरू कर दिया है.

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