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सिवनी में भाजपा की किरकिरी, पाँच मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति बनी सिरदर्द

राष्ट्र चंडिका न्यूज़ सिवनी। भारतीय जनता पार्टी  सिवनी में संगठनात्मक अस्थिरता और आंतरिक गुटबाजी के चलते एक बार फिर विवादों में घिर गई है। जिले में पाँच मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति पार्टी के लिए गले की फाँस बनती जा रही है। सोमवार देर शाम ज़िला अध्यक्ष द्वारा पाँच मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति करते हुए एक सूची ज़ारी की गई, लेकिन महज़ एक घंटे बाद ही उसे “भूलवश ज़ारी” बताकर निरस्त कर दिया गया।
यह पहला मौका नहीं है जब पार्टी ने ऐसा कदम उठाया हो। इससे ठीक छह महीने पहले 16 दिसंबर को भी इन्हीं पाँच मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति की सूची जारी हुई थी, जिसे उसी शाम सांसद और निर्वाचन प्रभारी राजेश मिश्रा ने रद्द कर दिया था। हैरानी की बात यह है कि दोनों ही बार सूची में अलग-अलग नाम शामिल थे, जिससे संगठन में समन्वय की कमी साफ नज़र आ रही है।
लगातार दूसरी बार सूची रद्द होने के बाद भाजपा के ज़मीनी कार्यकर्ता और नेता सोशल मीडिया पर ही अपनी पार्टी को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। कहीं से संगठनात्मक लचरता पर सवाल उठ रहे हैं, तो कहीं नेतृत्व के निर्णयों में पारदर्शिता की कमी पर।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो इन नियुक्तियों को लेकर गुटबाजी चरम पर है। हर गुट अपने-अपने पसंदीदा नेताओं को मंडल अध्यक्ष बनवाने की कोशिश में लगा हुआ है, जिसके चलते ज़िला नेतृत्व दबाव में आ गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि ऐसी स्थिति बनी रही, तो आगामी स्थानीय चुनावों में भाजपा को संगठन स्तर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। लगातार दूसरों बार मंडल अध्यक्षों की सूची निरस्त होने पर बीजेपी नेता और कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर अपनी ही पार्टी को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। जानकारों के मुताबिक अंदरूनी गुटबाजी की वजह से पाँच मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति में नेताओं के पसीने छूट रहे हैं।फिलहाल, ज़िला इकाई में असंतोष और अव्यवस्था की स्थिति बनी हुई है।

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