ये तुम्हारे बच्चे हैं… जब ‘नजाकत’ से आतंकियों ने पूछा, जान जोखिम में डाल बचाई पर्यटकों की जिंदगी

जम्मू कश्मीर के पहलगा में हुए आतंकी हमले के दौरान 26 लोगों की जान चली गई. वहीं कुछ लोग अपनी जान बचाने में सफल रहे. उन लोगों की उस हमले को याद कर रूह कांप जा रही है. लेकिन इस दौरान पहलगाम में घटनास्थल पर मौजूद कश्मीरी लोगों की सराहना करते नहीं थक रहे हैं. लोग बार-बार उन कश्मीरी लोगों का शुक्रिया कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के रहने वाले अरविंद अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर परिवार के लोगों की जान बचाने के लिए नजाकत अली को शुक्रिया कहा है.
अरविंद ने कहा कि पहलगाम हमले के समय वो और उनका परिवार वहीं पर था. सभी लोग फोटो क्लिक कर रहे थे. अचानक से फायरिंग की आवाज आने लगी. शुरू में ऐसा लगा जैसे पटाखे फूट रहे हो. मगर सब भागने लगे. भागने के दौरान मैं गिर गया और परिवार से अलग हो गया. ऐसे में घोड़े वाले नजाकत अली, जो 20 साल से वहां काम कर रहे हैं. उनकी गोद में अरविंद अग्रवाल के बच्चे थे. उनकी पत्नी भी वहां पर थीं. आतंकियों ने पूछा तुम मुस्लिम हो? ये बच्चे तुम्हारे है? नजाकत ने कहा हां. परिवार के लोगों की जान बची.
हमले के बाद नजाकत अली की क्यों हो रही तारीफ?
वहीं अरविंद ने ये भी बताया की हम ताज्जुब कर रहे थे कि वहां कोई सुरक्षा कर्मी नहीं था. हम तो आधे रास्ते से वापिस जाने की सोच रहे थे. मेरी बेटी डरी हुई है. जब आतंकियों ने एक शख़्स को मारा तो मांस के टुकड़े मेरी बेटी पर लगे. वो सहमी हुई है. पुलिस और आर्मी को देखकर डर रही है. कह रही हैहमेंमतमारो.
क्या बोले छत्तीसगढ़ के अरविंद?
वहीं हमले के वक्त नजाकत अली के पास अरविंद अग्रवाल के बच्चे थे. आतंकियों ने नजाकत से पूछा क्या तुम मुस्लिम हो? क्या ये बच्चे तुम्हारे है? जवाब में नजाकत अली ने हां कहा और वहां से आतंकी आगे चले गए. इस दौरान अरविंद अग्रवाल की पत्नी भी नजाकत अली के साथ थी.
अरविंद के परिवार के लोगों ने नजाकत अली को शुक्रिया बोला है और फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि आपने अपनी जान दाव में लगाके हमारी जान बचायी. हम नजाकत भाई का एहशान कभी नहीं चुका पाएंगे.