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हरियाणा

99 साल पुराना संगठन, 150 से ज्यादा देशों में मौजूदगी…तब्लीगी जमात की ये बातें जानते हैं आप?

हरियाणा के नूंह में आज यानी शनिवार से तब्लीगी जमात का जलसा शुरू होने जा रहा है. इस जलसे में मौलाना हजरत साद शिरकत करेंगे. यह जलसा 19 अप्रैल से शुरू हो कर 21 अप्रैल तक चलेगा और इसमें बड़ी तादाद में लोगों के जुटने की उम्मीद की जा रही है. “तब्लीगी जमात” का नाम आपने कोविड-19 के समय सुना होगा. इसी बीच चलिए जानते हैं कि आखिर तब्लीगी जमात क्या होती है?

तब्लीगी जमात की स्थापना 99 साल पहले हुई थी. इस संगठन की शुरुआत साल 1926 में भारत के मेवात में एक देवबंदी इस्लामी विद्वान मोहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने की थी. जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, अल-कांधलवी का मकसद एक मुस्लिम समाज के रूप में समर्पित प्रचारकों के एक ग्रुप की स्थापना करना था, जो “सच्चे” इस्लाम को पुनर्जीवित कर सके. दरअसल, उन्होंने देखा था कि कई मुसलमानों सही से इस्लाम को प्रेक्टिस नहीं कर रहे हैं. इसीलिए मुसलमानों को सही रास्ता दिखाने के लिए, उन्हें सही सीख देने के लिए भी इस संगठन की बुनियाद रखी गई थी.

150 से ज्यादा देशों में मौजूद

अल-कांधलवी ने अपने नए संगठन के लिए जो नारा गढ़ा, उसमें उसकी गतिविधियों का सार शामिल था – “ओ मुसलमानों, सच्चे मुसलमान बनो”. अल-कांधलवी ने अपने साथी मुसलमानों से “सही रास्ते की तरफ आने और बुराई से बचने” के लिए कहा. ब्रिटिश भारत में यह संगठन तेजी से विकसित हुआ. नवंबर 1941 में आयोजित इसके वार्षिक सम्मेलन में लगभग 25,000 लोग शामिल हुए. विभाजन के बाद, यह पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान (हाल ही में बांग्लादेश) में मजबूत हुआ. अब, तब्लीगी जमात की सबसे बड़ी राष्ट्रीय शाखा बांग्लादेश में है. यह ग्रुप 150 देशों में मौजूद है और इसके लाखों अनुयायी हैं.

क्या है संगठन का मकसद

तब्लीगी साथी मुसलमानों से पैगंबर मोहम्मद की तरह जिंदगी गुजारने के लिए कहते हैं. वे धार्मिक रूप से सूफी इस्लाम की समधर्मी प्रकृति के विरोधी हैं. वो मुसलमानों से पैगंबर की तरह कपड़े पहनने पर जोर देते हैं (पजामा या पेंट टखने से ऊपर होना चाहिए). पुरुष आमतौर पर अपने ऊपरी होंठ को शेव करें और लंबी दाढ़ी रखें. हालांकि, संगठन का ध्यान बाकी धर्मों के लोगों को इस्लाम में शामिल करना नहीं है बल्कि मुसलमानों को ही मुस्लिम धर्म की सही से प्रेक्टिस करना और उन्हें सही रास्ता दिखाना है. यह मुस्लिम आस्था को ‘शुद्ध’ करने पर केंद्रित है.

संगठन पर कुछ देशों में लगा है बैन

संगठन का ढांचा काफी ढीला है. अमीर अंतरराष्ट्रीय आंदोलन के नेता हैं. फिलहाल मौलाना साद कांधलवी इस संगठन के लीडर हैं. वो संस्थापक के पोते हैं. समूह में एक शूरा परिषद भी है, जो मुख्य रूप से विभिन्न राष्ट्रीय इकाइयों और राष्ट्रीय मुख्यालयों वाली एक सलाहकार परिषद है. तब्लीगी जमात का कहना है कि पैगंबर मोहम्मद ने सभी मुसलमानों को अल्लाह का संदेश देने का आदेश दिया है और तब्लीगी इसे अपना कर्तव्य मानते हैं.

वे खुद को छोटी-छोटी जमातों (समाजों) में बांट लेते हैं और मुस्लिम घरों में इस्लाम का संदेश फैलाने के लिए दुनिया भर में अकसर सफर करते हैं. इस यात्रा के दौरान वे स्थानीय मस्जिदों में रुकते हैं. तब्लीगी जमात को कुछ मध्य एशियाई देशों जैसे उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और कजाकिस्तान में प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिनकी सरकारें इसके शुद्धतावादी उपदेशों (puritanical preachings) को चरमपंथी के रूप में देखती हैं.

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