MP के ताजमहल में खनकती है पायल, शाम होते ही पसर जाता है सन्नाटा

छतरपुर। धुबेला, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जहाँ महाराजा छत्रसाल का समाधि स्थल और महल स्थित हैं। यह स्थान बुंदेलखंड की समृद्ध विरासत और स्थापत्य कला का प्रतीक है। महाराजा छत्रसाल का समाधि स्थल महाराजा छत्रसाल की समाधि धुबेला झील के पास स्थित है। यह एक भव्य मकबरा है, जिसमें कई बड़ी और छोटी गुंबदें हैं। समाधि तक पहुँचने के लिए कई सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, जो इसकी भव्यता को दर्शाती हैं ।
धुबेला संग्रहालय
महाराजा छत्रसाल के महल को अब संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। यह संग्रहालय छतरपुर–झांसी राजमार्ग पर स्थित है और इसमें बुंदेलखंड की ऐतिहासिक धरोहरों का संग्रह है। यहाँ राजा छत्रसाल की मूर्ति, उनके शस्त्र, और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं।
रानी कमलापति का महल
धुबेला संग्रहालय से लगभग 500 मीटर की दूरी पर रानी कमलापति का स्मारक स्थित है। यह महल महाराजा छत्रसाल की पहली रानी का था। महल में 180 चित्रांकन, 7 गुंबद, और 48 पंखुड़ियों वाले कमल का पुष्पांकन है। इस महल से राजा और रानी के महलों का दृश्य स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
शाम होने के बाद आती है पायल की आवाज
धुबेला के बड़े तालाब किनारे बनवाई गई इस समाधि स्थल के प्रति लोगों में गहरी आस्था भी है और इस समाधि स्थल पर आज भी महाराज छत्रसाल की पत्नी रानी कमलापति की पायल की आवाज सुनाई देती है। कहा जाता है कि शाम होने के बाद यह आवाज आती है और यह आवाज किसी और कि नहीं बल्कि छत्रसाल की पहली पत्नी रानी कमलापति की है।