उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या का नया विश्व रिकॉर्ड बनने जा रहा है. महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को काउंट करने के लिए मेला प्रशासन एआई कैमरों के साथ ही कई अन्य तकनीकों का सहारा ले रहा है. माना जा रहा है कि इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ से 45 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचकर संगम में डुबकी लगा सकते हैं. श्रद्धालुओं की संख्या को ट्रैक करने के लिए 200 जगहों पर सीसीटीवी कैमरा लगाए जा रहे हैं.
प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ के आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा सकते हैं. माना जा रहा है कि इस बार नया विश्व रिकार्ड बन सकता है. श्रद्धालुओं की संख्या को काउंट करने के लिए इस बार कुंभ मेला प्रशासन एआई कैमरों के साथ ही कई अन्य तकनीकों का सहारा ले रहा है. महाकुंभ में आने वाले हर एक श्रद्धालु की गिनती के साथ ही उन्हें ट्रैक भी किया जा सके.
मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने कहा कि श्रद्धालुओं को ट्रैक करने के लिए मेला क्षेत्र के अंदर 200 स्थानों पर लगभग 744 अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. वहीं शहर के अंदर 268 स्थानों पर 1107 स्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.
एआई कैमरों का इस्तेमाल
विजय विश्वास पंत ने कहा कि आईसीसीसी एवं पुलिस लाइन कंट्रोल रूम के अतिरिक्त अरैल एवं झूंसी क्षेत्र में भी व्यूइंग सेंटर्स बनाए गए हैं. जहां से श्रद्धालुओं की मॉनिटरिंग करने का प्रयास किया जा रहा है. एआई का उपयोग करते हुए क्राउड डेंसिटी अलगोरिदम से लोगों के काउंटिंग का भी प्रयास किया जा रहा है. एआई आधारित क्राउड मैनेजमेंट रियल टाइम अलर्ट जनरेट करेगा, जिसके माध्यम से संबंधित अधिकारियों को श्रद्धालुओं की काउंटिंग एवं ट्रैकिंग करना आसान होगा.
ऐसे होगी सटीक गिनती
मेला परिसर में बने आईसीसीसी में हेडकाउंट मॉडलिंग का कार्य देख रहे टेक्निकल स्टाफ ने कहा कि हेडकाउंट में एक श्रद्धालु की बार-बार गिनती न हो, इसके लिए टर्नअराउंड साइकिल महत्वपूर्ण होता है. इसको ट्रैक करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है. संगम किनारे तीर्थयात्री द्वारा औसतन कितना बिताया उसे समय टर्नअराउंड साइकिल माना गया है. टर्नअराउंड साइकिल से ही कोचरन्स फॉर्मूला के आधार पर सैंपल की संख्या निकाली जाती है.
उन्होंने कहा कि दूसरी तकनीक आरएफआईडी रिस्ट बैंड पर आधारित होगी. इस तकनीक के माध्यम से स्नान के साथ-साथ महाकुंभ में हर दिन आने वाले श्रद्धालुओं को रिस्ट बैंड दिया जाएंगे. आरएफआईडी रीडर से रिस्ट बैंड को ट्रैक किया जाएगा, जिससे पता चलेगा कि तीर्थयात्री ने मेला क्षेत्र में कितनी देर तक रहा. उन्होंने बताया कि मोबाइल एप से भी लोगों की ट्रैकिंग होगी.
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