प्रेम… इस दुनिया में ये एकलौता ऐसा शब्द है जिसको सही से परिभाषित नहीं किया जा सकता. लेकिन, हिंदू संस्कृति की मानें तो देवी-देवताओं ने प्रेम करने और प्रेम की सच्ची परिभाषा को काफी तफ्सील से समझाया है. हमारे ग्रंथों में साफ कहा गया है कि ईश्वर संसार की हर चीज में हैं इसलिए हर चीज से प्रेम करिए. हमारे ग्रंथों में श्री कृष्ण और राधा के रिश्ते को प्रेम के सबसे ऊंचे पायदान पर रखा जाता है. लेकिन एक और नाम है जो कृष्ण के साथ जोड़ा जाता है और वह है मीरा का. एक रानी जो कृष्ण भक्ति में ऐसी रमी की उनकी भक्ति की मिसाल आजतक दी जाती है.
कई नाम और रूपों वाले भगवान और अलग-अलग भक्तों के इस देश में हर दो कोस पर आपको त्याग, श्रद्धा और समर्पण के काफी किस्से सुनने को मिल जाते हैं. एक ऐसा ही अनोखा मामला सामने आया देवभूमी कहे जाने वाले उत्तराखंड के हल्द्वानी से. हल्द्वानी के प्रेमपुर इंद्रप्रस्थ कॉलोनी के रहने वाले पूरन चंद्र पंत की 21 साल की बेटी हर्षिका पंत बचपन से ही दिव्यांग हैं.
21 साल की हर्षिका ने रचाई अनोखी शादी
21 साल की हर्षिका की सुंदरता इतनी कि अच्छी-अच्छी सुंदर लड़कियों को वह मात दे देती हैं, लेकिन कुदरत ने शरीर के निचले हिस्से को दिव्यांग बना दिया. हर्षिका भगवान श्री कृष्ण को दिल से अपना सर्वस्व मान चुकी हैं. वह वृंदावन से लाई गई श्री कृष्ण की प्रतिमा के साथ सात जन्मों की कसमें और वादों के साथ अपनी मांग में कान्हा के नाम का सिंदूर भर चुकी हैं. उन्होंने कांहा को सबकुछ मानकर उनकी मूर्ती संग शादी रचा ली है.
भगवान श्री कृष्ण से की शादी
हर्षिका के माता पिता ने शादी का मूहुर्त निकलवाया और 11 जुलाई को हर्षिता ने परिवार की सहमति से धूमधाम से भगवान श्री कृष्ण से शादी रचाकर अपने जीवन को कृष्ण भगवान को समर्पित कर दिया. बुधवार को घर में मेहंदी और हल्दी का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें सभी रिश्तेदार और आसपास के लोग भी शामिल हुए. हर्षिका के घर सुबह से ही शादी की तैयारियां की जा रही थी. बैंड बाजे के साथ बाराती दरवाजे पर पहुंचे जहां कुमाऊनी रीति रिवाज के साथ भगवान कृष्ण का दरवाजे पर स्वागत किया गया.
कुमाऊनी रीति रिवाज से हुई शादी
इसके बाद कुमाऊनी रीति रिवाज से ही हर्षिता की भगवान कृष्ण के साथ शादी रचाई गई. इसके बाद जयमाला का भी कार्यक्रम हुआ. हर्षिका को आशीर्वाद देने के लिए दूर दूर से लोग पहुंचे हुए थे. जहां सैकड़ों लोग शादी के साक्षी बने और हर्षिता को आशीर्वाद दिया. वहीं विवाह समारोह में शामिल हुए सभी मेहमानों के लिए खाने-पीने का भी पूरा इंतजाम किया गया था. दुल्हन बनीं हर्षिका अपनी सहेलियों के साथ कमरे से बाहर निकलीं और फिर कान्हा की प्रतिमा को माला पहनाई. हर्षिका पिछले 15 सालों से अपने ह्रदय में भगवान श्री कृष्ण को संजोए बैठीं हैं आज शादी हुई लेकिन हर्षिका अपने ससुराल यानी वृंदावन नहीं गईं, बल्कि घर वाले भगवान श्री कृष्ण को घर जमाई बनाकर अपने घर पर ही ले आए. हर्षिका और उनका पूरा परिवार इस शादी से बेहद खुश है.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.