नान बैकिंग फाइनेशियल कंपनियाें काे मुखौटे की तरह इस्तेमाल कर रहे आनलाइन जाब देने वाले साइबर ठग

भोपाल। आनलाइन जाब से लेकर एप से लोन दिलाकर वसूली के लिए साइबर ठग सरकार की व्यवस्थाओं की कमियों को फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। ठगी के लिए लोन देने का काम किसी बैंक या फाइनेशियल कंपनी का उपयोग करने के बजाए नान बैकिंग फाइनेशियल कंपनियों का उपयोग करते हैं। एक्सपर्टस के अनुसार साइबर ठग ऐसी कंपनियों में ठगी से हासिल करोड़ों की राशि जमा रखते हैं और उन रुपयों को ही नए लोगों को जाल में फंसाने के लिए लोन के तौर पर देते हैं। ऐसी कंपनियों से करोड़ों के लेन-देन के बाद भी इन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

केस- एक

भोपाल सीमा दुबे ने अपना बिजनेस स्टार्ट करने के लिए लोन लेने की कोशिश की। जब बैंक की प्रोसेस कठिन लगी तो इजीमनी लोन एप से एक लाख के लोन के लिए एप्लाई किया। एप लोन से आसानी से लोन मिल गया लेकिन कुछ ही समय में कंपनी ने बताई ब्याज दर के अतिरिक्त कई तरह के चार्जेस जोड़कर मोटी वसूली का दबाव बनान शुरू कर दिया। सीमा ने साइबर सेल में शिकायत की लेकिन ठगी करने वालों तक नहीं पहुंचा जा सका है।

केस- दो

रातीबड़ निवासी भूपेंद्र विश्वकर्मा ने नौकरी के बाद पार्ट टाइम जाब के लिए आनलाइन जाब देने वाली कंपनी सीएसवायओएनएलएलईएम.काम पर काम शुरू किया। कुछ ही समय में कंपनी ने काम समय पर पूरा न होने का हवाला देकर मोटा जुर्माना थोप दिया जिसको पूरा करने के लिए एप से लोन भी दिलवा दिया और फिर ब्लैकमेल कर 17 लाख रुपये की मांग करने लगी। आखिर में कंपनी की ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर भूपेंद्र ने पत्नी और बच्चों सहित जान दे दी।

यह हैं नियम

रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार ऐसी कोई भी कंपनी जो कंपनी एक्ट 1956 के तहत लोन और एडवांस देने का काम करती है, वे एनबीएफसी में आती हैं। सामान्यत: ऐसी कंपनियां जनता से रुपये जमा कर व्यापार करती हैं। कुछ इसकी आड़ में जनता के रुपये लेकर फरार भी हो जाती है, लेकिन साइबर ठगों ने इसका अलग ही तरीका अपनाया है। साइबर ठगों ने ऐसी ही एनबीएफसी कंपनियां तैयार कर रखी हैं, इन कंपनियों के माध्यम से लेनदेन किया जा रहा है।

इनका कहना है

आरबीआई कह चुका है कि बेनामी एकाउंट नहीं ओपन होंगे। लेकिन इसका तोड़ साइबर ठगों ने यह निकाला है कि ये दूसरों के सही दस्तावेज से खाते खुलवाते हैं। लेकिन एटीएम खाताधारक के बजाए खुद हासिल कर लेते हैं। बैंक और फाइनेशियल कंपनियां आरबीआई के गाइड लाइन का पालन नहीं करती हैं। यदि साइबर ठगी के मामलों में बैकों को कार्रवाई के दायरे में लाया जाए और बैकिंग सिस्टम को फुल प्रूफ बना लिया जाए तो साइबर ठगी को काफी हद रोका जा सकता है।

यशदीप चतुर्वेदी, साइबर एक्सपर्ट

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