नई उड्डयन नीति बनाएगी मध्य प्रदेश सरकार धार्मिक एवं प्राकृतिक पर्यटन स्थलों पर बढ़ेंगी विमानन सुविधाएं
भोपाल। मध्य प्रदेश की नई उड्डयन नीति बनाई जाएगी। इसके लिए विमानन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। नीति बनाने के लिए सलाहकार नियुक्त किया जाएगा। नई नीति में प्रदेश के धार्मिक एवं प्राकृतिक पर्यटन स्थलों पर विमानन सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रविधान किए जाएंगे।
प्रोत्साहन राशि भी देगी मप्र सरकार
इसके लिए राज्य सरकार प्रोत्साहन राशि भी देगी। पर्यटन विभाग ने ऐसे स्थलों की जानकारी विमानन विभाग से साझा कर ली है, जिनमें विमानन सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी हैं। यह पूरा कार्य मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एमपीआरडीसी) की मदद से कराया जाएगा। वर्तमान में 2016 में बनी उड्डयन नीति के अनुरूप कार्य हो रहा है।
मध्य प्रदेश की हवाई पट्टियों का कराया जाएगा सर्वे
प्रदेश की 21 हवाई पट्टियों के सर्वे के लिए विमानन विभाग ने एमपीआरडीसी के माध्यम से टेंडर जारी कर दिए हैं, जो 18 जुलाई को खोले जाएंगे। सर्वे में सलाहकार देखेगा कि इनमें से किसी भूमि पर अतिक्रमण तो नहीं है, अतिरिक्त कितनी भूमि की आवश्यक्ता है और इनमें जेट प्लेन उतर सकता है या नहीं। जिन हवाई पट्टियों की लीज समाप्त हो चुकी है, उन्हें राज्य सरकार अपने आधिपत्य में लेगी। विधानसभा चुनाव से पहले हवाई पट्टियों का उन्नयन कराने का लक्ष्य है।
मध्य प्रदेश में 31 हवाई पट्टियां
प्रदेश में कुल 31 हवाई पट्टियां हैं और इनमें भोपाल, इंदौर, खजुराहो, ग्वालियर एवं जबलपुर में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण एयरपोर्ट का संचालन करता है। तीन हवाई पट्टियां निजी क्षेत्र के अधीन हैं, जिनमें दमोह-डायमंड सीमेंट, शहडोल- ओरिएंटल पेपर मिल एवं नागदा-ग्रेसिम शामिल हैं। हाल ही में रीवा विमान पट्टी को भी एयरपोर्ट अथारिटी को सौंप दिया गया है।
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