इंदौर। ‘तू ऐसे नहीं बताएगी। तेरा इंतजाम करना पड़ेगा। ये वीडियो देख ले। तुझे भी ऐसे ही पीटेंगे। दीवार के पास सीधी खड़ी हो जा। साहब ने पीटने का बोला है।’ रचना शर्मा को पुलिसवालों ने थर्ड डिग्री टार्चर का वीडियो दिखाकर पीटा था। एसआइ सुरेंद्रसिंह ने कहा था कि इसकी ऐसी पिटाई करो, यह चोरी कबूल ले।
महावीर नगर (धार) निवासी रचना को एक महीने से पूछताछ के बहाने बुलाते थे। बयान और पूछताछ के नाम पर घंटों प्रताड़ित करते थे। एसआइ सुरेंद्र (तिलक नगर), एसआइ पाठक(कनाड़िया), एएसआइ प्रदीप वर्बे (तिलक नगर) अलग-अलग बयान लेते थे। एडीपीओ (उज्जैन ईओडब्ल्यू) सीमा शर्मा भी बैठती थी। एफआइआर दर्ज करने के बाद पुलिसवाले आरोपितों जैसा बर्ताव करने लगे। रविवार दोपहर 12 बजे रचना और उसके भाई यश द्विवेदी को थाने बुला लिया।
सुरेंद्र ने तीन घंटे पूछताछ की और कहा इसका इंतजाम करना पड़ेगा। सिपाही अर्पिता को बुलाया और कहा कि इसे ऊपर ले जाओ। पुलिसवालों ने मोबाइल में थर्ड डिग्री टार्चर का वीडियो दिखाया और डंडे-बेल्ट से पीटा। कभी हथेलियों पर डंडे मारे तो कभी उल्टे हाथ करवाए। दीवार के पास खड़ा किया और जांघ-कूल्हे पर डंडे मारे। रचना को रात करीब 9 बजे तक शारीरिक व मानसिक रूप से परेशान करते रहे।
उल्टियां हुईं तब भी पुलिसवालों का दिल नहीं पसीजा। रात होने पर अर्पिता ने कहा सामान्य हो जाओ। आंसू पोछो। दर्द से कराहने लगी तो कहा एकदम सीधे चलना। शरीर में चोट लगी, ऐसा महसूस नहीं होना चाहिए। उसे एक रूम में अलग से बैठाया और अर्पिता ने बर्फ से सिंकाई की। कोल्ड ड्रिंक और काफी पिलाई। दवाइयां दी और घावों पर मरहम लगाया ताकि सामान्य दिखे। पुलिसवाले बोले थे कि डीसीपी का आदेश है तुमसे पूछताछ करना है।
साजिश: डीसीपी आफिस में टाइप हुआ आवेदन, दोषियों को बचाया
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (कानून) मनीष कपूरिया से शिकायत करने पर अफसरों में हड़कंप मचा। दोषियों पर एफआइआर की बारी आई तो रचना को जोन-2 के डीसीपी अभिषेक आनंद के कार्यालय बुलाया गया। रचना ने कहा कि खजराना एसीपी जयंत राठौर के इशारे पर पिटाई हुई है। एसआइ सुरेंद्र असल गुनाहगार है। सिपाहियों ने उसके इशारे पर ही पीटा है। डीसीपी ने कार्यालय में ही आवेदन टाइप करवाया, जिसमें सुरेंद्र का नाम हटा दिया।
रिश्तेदार हिमांशु ने विरोध किया तो कहा अभी कुलदीप का नाम लिखो। बाकी विवेचना में देख लेंगे। डीसीपी का लहजा देख रचना ने आवेदन पर हस्ताक्षर कर दिए। बुधवार को पुलिस आयुक्त मकरंद देऊस्कर से मुलाकात कर सुरेंद्र, जयंत राठौर और सीमा शर्मा पर भी कार्रवाई की मांग की।
पुलिसवालों को जेब में रखने की धमकी देती थी एडीपीओ
रचना को फंसाने की साजिश उनकी ननद सीमा शर्मा ने की है। सीमा ईओडब्ल्यू कार्यालय उज्जैन में एडीपीओ है। पुलिसवाले सीमा के दबाव में ही सख्ती कर रहे थे। कई बार सीमा खुद थाने में बैठ जाती थी। बहन स्मृति द्विवेदी के मुताबिक सीमा बोलती थी कि पुलिसवाले उसकी जेब में हैं। सीमा के मुताबिक मुझे ब्लैकमेल करने की साजिश हो रही है। भाभी (रचना) का भाई यश उर्फ लोकेश मास्टर माइंड है।
लोकेश ने थाने में हमारी उपस्थिति दर्शाने की नीयत से योजनाबद्ध तरीके से थाने बुलाया था। उसने कहा था कि वह 21 लाख लौटाना चाहता है। इस दौरान उसने जाजीजी चंद्रप्रकाश भट्टो को बुलाने के लिए भी कहा था। थाने में भाई सुनील के फोन से बात भी की थी। रचना के साथ मारपीट हुई या नहीं इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। फरियादी पक्ष पर दबाव बनाने के लिए हमरा झूठा नाम लिया जा रहा है।
आधी रात बुजुर्गों को काल करता था एसआइ
हिमांशु त्रिवेदी के मुताबिक पुलिसवाले तो एक महीने से टार्चर कर रहे थे। आवेदन पत्र की जांच के दौरान रात 12 बजे बुजुर्गों को काल कर बोलते थे कि थाने आना पड़ेगा। एक बार पुलिसवाले घर आ गए और बीमार चाचा का फोटो खींचा। रात में ही रचना को थाने ले जाने की धमकी दी।
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