ग्वालियर। शाश्वत सुख और निज स्वरूप में जगाने का दिन है गुरु पूर्णिमा। गुरु आश्रम, मठ मंदिरों में होंगे। गुरु पूजन के साथ गुरु पादुका पूजन भारत देश विश्वव में धर्म, आस्था, उत्सवों, देवी देवताओं के दर्शन, नमन, वेद शास्त्र, पुराण, संस्कृति, गुरु माता ,पिता, बड़ों के सम्मान जनसेवा, प्रधान का मुख्य देश है। यहां साधु-संतों, योगी महात्मा, धर्माचार्य के चरण स्पर्श कर उनसे शुभ मांगलिक आशीर्वाद प्राप्त कर स्वयं को धन्य व कृतज्ञ बनाते हैं। सनातन धर्म में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर माना गया है। इनकी पूजा के लिए हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व 3 जुलाई सोमवार को है। गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉं सतीश सोनी के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धनु राशि में रहते हैं। जिस पर बृहस्पति देव का शासन है। साथ ही पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र जिस पर इस समय शुक्र का शासन है। इस दिन दिव्य और दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। इसमें वाशीयोंग, सुनफा योग, बुधादित्य योग, ब्रह्म योग, इंद्र योग रहेगा। इन दिन दिव्य और दुर्लभ शुभ संयोग में गुरु पूजन करना तथा गुरुओं से दीक्षा लेना शुभ फलदाई होगा। वही मिथुन राशि, कन्या राशि, धनु राशि, मीन राशि वालों के लिए भद्र नामक योग रहेगा। तथा वृषभ राशि, सिंह राशि, वृश्चिक राशि और कुंभ राशि वालों के लिए शश नामक योग रहेगा।
गुरु पूजन शुभ मुहूर्त
सुबह 10:15 से 11:15 बजे तक इसके बाद दोपहर 12:15 से 1:30 तक तथा उसके बाद शाम 4:00 से 6:00 तक लाभ अमृत का मुहूर्त
क्या करें।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पादुका पूजन, गुरु दर्शन करके उन्हें मिठाईयां, नेवैध, वस्त्र, दक्षिणा आदि देकर उनकी आरती कर उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें। तथा गुरु के चरणो में कुछ देर बैठ कर उनकी कृपा प्राप्त करें।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.