ग्वालियर: गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, इस पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा सोमवार को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की गुरु पूर्णिमा गुरु व शिष्य की परंपरा के लिए विशेष होता है। गुरु अपने ज्ञान से शिष्य को सही मार्ग पर ले जाते हैं और भगवान का साक्षात्कार करवाते हैं। इसलिए गुरुओं के सम्मान में हर वर्ष यह पर्व मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य गुरु का पूजन कर आशीर्वाद लेते हैं और गुरु के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
गुरु पूर्णिमा तिथि मुहूर्त
आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 2 जुलाई, रात 8 बजकर 21 मिनट पर होगा पूर्णिमा तिथि का समापन 3 जुलाई, शाम 5 बजकर 8 मिनट पर होगा।उदया तिथि को मानते हुए गुरु पूर्णिमा का पर्व 3 जुलाई दिन सोमवार को मनाया जाएगा।
तीन शुभ योग
गुरु पूर्णिमा वाले दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और बुधादित्य राजयोग बन रहा है। इन शुभ योग में गुरुओं से दीक्षा लेना शुभफलदायी होगा। गुरु की चरण वंदना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। जीवन के कष्ट दूर होंगे,सफलता की राह आसान होगी।
ब्रह्म योग – 02 जुलाई को रात 07.26 से 03 जुलाई दोपहर 03.45 तक रहेगा।
इंद्र योग – 03 जुलाई , दोपहर 03.45 से 04 जुलाई , सुबह 11.50 तक
बुधादित्य योग – 24 जून को बुध का मिथुन राशि में प्रवेश होगा। सूर्य पहले से ही मिथुन राशि में विराजमान हैं। ऐसे में इन ग्रहों की युति से बुधादित्य राजयोग बन रहा है।
जीवन में गुरु का होना क्यों आवश्यक है
-गुरु के सानिध्य में रहने से जीवन भयमुक्त रहता है।
-कर्म के प्रति आध्यात्मिक मार्ग और किए हुए कर्म का पुण्य फल प्राप्ति होती है।
-गुरु की आज्ञा से की गई पूजा, यज्ञ, हवन, जाप, अनुष्ठान और दिया हुआ दान सफल होता है।
-गुरु के सानिध्य में किए हुए कर्म द्वारा प्राप्त धन सम्पदा संचित होती है और शुभ कार्यों में उपयोग होता है।
-जिस घर में नित्य गुरु मंत्र का जाप होता है वहां के समस्त दोषों का निवारण हो जाता है।
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