अफ्रीका के जंगलों में अनछुए पहलुओं को जबलपुर के फोटोग्राफर ने छुआ

 जबलपुर। अफ्रीका के जंगलों में जंगली जानवरों के रहन-सहन से लेकर उनके जीवन में झांकते हुए कई अनछुए पहलुओं को शहर के फोटोग्राफर ने छुआ। शहर के फोटोग्राफरों की संस्था सेंट्रल इंडिया फोटोग्राफिक काउंसिल ने 13 से 21 जून तक ‘वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का अफ्रीका में आयोजन किया था।

जंगल में रहने वालों को नजदीक से जानें-पहचानें

सोसायटी के सचिव डा. बसंत मिश्रा ने बताया कि यहां के जंगलों से जुड़े पहलुओं को इस कार्यशाला में प्रमुखता से रखा गया, ताकि फोटोग्राफर जंगल के जीवन और वहां रहने वालों को नजदीक से जान-पहचान रखें। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी पर अफ्रीका के जंगलों में यह दूसरी कार्यशाला थी। कार्यशाला में देशभर से 18 सदस्य प्रतिभागियों ने भाग लिया।

वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी कार्यशाला में देशभर से गए थे छायाकार

डा. बसंत ने बताया कि इस कार्यशाला में शामिल होने वालों में मुंबई से अंतरराष्ट्रीय कलाकार आबिद सूर्ती, डा.अपर्णा बागवे, जबलपुर से अजीत सिंह नारंग, डा. दिलीप उमाकांत पाठक, डा. दिलीप कुमार कटियार, शशि बाला कटियार, प्रदीप परिहार, डा. शेखर सिंह बघेल, भोपाल से डा. मृणालिनी गोरे, ईशान गोरे, कृणाल सिंघल, जगजीत सिंह मक्कड़, इलाहबाद से डा. रुचि मित्तल, समीर शंकर जलगांब से डा. वासुदेव जयरान वारके, डा. वसंत पुरूषोत्तम होल, नागपुर से सदानंद दिगंबर पिंप्रिकर शामिल थे।

कई पहलुओं के साथ मुख्य रूप से वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी पर व्याख्यान

आठ दिवसीय इस कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा फोटोग्राफी के कई पहलुओं के साथ मुख्य रूप से वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी पर व्याख्यान रखा गया। फिल्म शो, स्लाईड शो तथा जंगल की फील्ड फोटोग्राफी विषय पर कार्यशाला हुई। फील्ड फोटोग्राफी के लिए नेरावी, मसाईमारा, सुमरु, लेकनूकरु, माउंट किनिया, फ्रेसवाटर लेक आदि राष्ट्रीय उद्यानों का भ्रमण किया।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.