निजी सेना वैग्नर के प्रमुख के अपने सैनिकों को वापस लौटने के आदेश देने के बाद रूस में पैदा हुआ संकट खत्म हो गया है। रूस की न्यूज एजेंसी TASS की रिपोर्ट के मुताबिक बेलोरूस राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने इस मामले में मध्यस्थता की और वैगनर प्राइवेट मिलिट्री कंपनी (पीएमसी) के संस्थापक येवगेनी प्रिगोझिन को अपनी कमान छोड़ने और सैनिकों को वापस लौटने के लिए मनाया। इस तरह रुस एक संभावित नरसंहार और तबाही से बच गया।
क्रेमलिन का बयान
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पत्रकारों को बताया कि बेलोरूस के राष्ट्रपति ने इसमें स्वेच्छा से भाग लिया हैं। उन्होंने कहा कि अलेक्जेंडर लुकाशेंको, प्रिगोझिन को लगभग 20 वर्षों से व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, और यह उनकी व्यक्तिगत पहल थी जिसे राष्ट्रपति पुतिन के साथ साझा किया गया था। क्रेमलिन अधिकारी ने बताया कि वास्तव में, दोनों राष्ट्रपति इस बात पर सहमत हुए कि राष्ट्रपति लुकाशेंको, वैगनर के साथ स्थिति को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का प्रयास करेंगे। हम उनकी इस तत्परता का सम्मान करते हैं।
रूस की परेशानी
जानकारी के मुताबिक, रूस प्रिगोझिन और वैगनर के खिलाफ पूरी ताकत लगाने का जोखिम नहीं उठा सकता था। खास तौर पर ऐसी स्थिति में जब उन्होंने यूक्रेन में जीत हासिल की और इसकी भारी कीमत चुकाई। वहीं प्रिगोझिन के अत्यधिक अस्थिर और अक्खड़ चरित्र को देखते हुए इस विद्रोह को शुरु में ही रोकना आवश्यक था, क्योंकि पश्चिमी देशों का समर्थन मिलने पर ये गृहयुद्ध में बदल सकता था।
पश्चिम की साजिश?
रूसी सूत्रों के मुताबिक प्रिगोझिन को MI6 ने बड़े इनाम का वादा किया था, बशर्ते कि वो खुद को रुस के रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त करवा ले और यूक्रेन से बातचीत शुरु करवा पाए। रुसी जानकारों का मानना है कि इन दावों का कोई आधार नहीं है, लेकिन लक्ष्य ये था कि रुस की हतोत्साहित करना और प्रिगोझिन को रुस का उद्धारकर्ता साबित करना। यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए पश्चिमी देश उसे ब्लैंक चेक देने को तैयार थे।
दोनों पक्षों में हुई डील
फिलहाल दोनों पक्षों के बीच हुई डील के बाद वैगनर ग्रुप के मुखिया येवगेनी प्रिगोझिन ने अपने लड़ाकों को मास्को कूच करने से रोक दिया है। वहीं क्रेमलिन ने वैगनर ग्रुप पर लगे सभी आरोपों को वापस ले लिया है। हालांकि, इससे पहले देश के नाम संदेश में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि बगावत करने वालों से सख्ती निपटा जाएगा। लेकिन प्रिगोझिन और रूस के बीच हुए समझौते के बाद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी और प्रिगोझिन अब रूस छोड़कर बेलारूस लौटेंगे।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.