देवशयनी एकादशी के बाद से चातुर्मास प्रारंभ हो जाते हैं। इस साल 29 जून को देवशयनी एकादशी पड़ रही है और इसी दिन से चातुर्मास शुरू होने जा रहे हैं। मान्यता है कि चातुर्मास में सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है और इन चार महीनों में जगत के पालनहार श्री हरि योग निद्रा में क्षीरसागर चले जाते हैं। आषाढ़ माह की एकादशी तिथि से कार्तिक माह की एकादशी तक चातुर्मास काल माना जाता है।
देवशयनी एकादशी को हरिशयन एकादशी भी कहते हैं और इस दिन से मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है लेकिन कुछ कार्य ऐसे हैं जिन्हें चातुर्मास में करना बहुत अच्छा माना जाता है। तो आइए जानते हैं चातुर्मास के दौरान किन कार्यों को करना चाहिए और क्या वर्जित है। इसके साथ ही इस समय किन उपायों को करने से आर्थिक तंगी से छुटकारा पा सकते हैं।
चातुर्मास में क्या करने से बचें
1. इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य करने से बचें। जैसे कि गृह प्रवेश, शादी-विवाह आदि मांगलिक कार्य वर्जित माना जाता है।
2. चातुर्मास के महीनों में तेल से बनी चीजों को खाने से बचना चाहिए। इसके साथ ही इस दौरान दूध, शक्कर, दही, तेल, बैंगन, नमकीन, सब्जियां, मसालेदार सब्जी, मिठाई, सुपारी, मांस, मदिरा आदि चीजों से भी बचना चाहिए।
3. चातुर्मास में काला और नीला वस्त्र पहनने नही चाहिए इससे स्वास्थ्य में हानि और पुण्य का नाश होता है।
चातुर्मास में क्या करें, किन चीजों का करें दान
– बता दें कि जो लोग लंबे समय से नौकरी की तलाश में हैं और जिन्हें लगातार आर्थिक तंगी बनी हुई है वो लोग चातुर्मास में किसी जरूरतमंद को छतरी, कपड़ा, अन्न और कपूर का दान करें। इससे आर्थिक संपन्नता आती है और हर नौकरी में भी लाभ मिलता है।
मंत्र- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
-ॐ विष्णवे नम:
-ॐ हूं विष्णवे नम:
– चातुर्मास में आंवला व मिश्री जल से स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
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