हिन्दू धर्म में देवताओं के साथ उनसे संबंधित पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों की भी पूजा की जाती है। इनमें से सावन के महीने में नाग पंचमी का विशेष महत्व बताया गया है। नाग पंचमी तिथि के दिन नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन नागों को दूध से स्नान कराया दाता है और उन्हें दूध पिलाया जाता है। इसके अलावा इस दिन भगवान शिव कू पूजा से भी विशेष लाभ होता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस दिन काल सर्प दोष और राहु दोष के लिए पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष और राहु दोष से मुक्ति मिलती है।
नाग पंचमी: तिथि एवं शुभ मुहूर्त
सावन मास में दो नागपंचमी तिथि आती है। एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल नाग पंचमी का पर्व 7 जुलाई को मनाया जाएगा। पंचांग अनुसार 7 जुलाई को कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि सुबह 3 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी और 7 तारीख की मध्यरात्रि 12 बजकर 19 मिनट पर खत्म होगी। वहीं 21 अगस्त को शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 20 अगस्त को रात 12 बजकर 22 मिनट पर पंचमी तिथि शुरू होगी, जो 21 तारीख को रात में 2 बजकर 1 मिनट पर खत्म हो जाएगी।
कैसे करें उपाय?
इंदौर के पंडित प्रफुल्ल शर्मा ने बताया कि जिन लोगों की कुंडली में राहु और केतु की दशा चल रही है उन्हें नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। इस उपाय से राहु केतु दोष से मुक्ति मिलेगी। वहीं अगर जन्मकुंडली में कालसर्प दोष हो तो व्यक्ति को नाग पंचमी के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए। इस दिन किसी नदी के बहते जल में चांदी की नाग- नागिन प्रवाहित कर दें। यह उपाय भी काल सर्प दोष से मुक्ति दिला सकता है। साथ ही इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान करने से भी राहु-केतु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
डिसक्लेमर
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